होली के गुज़र जाने के कुछ ही दिनों बाद, महाराष्ट्र के लोग गुड़ी पड़वा का त्यौहार धूमधाम से मनाते हैं, जो उनके नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। चैत्र मास के पहले दिन आने वाला यह त्यौहार न केवल रंग और उत्साह का, बल्कि नई शुरुआत का भी प्रतीक है।
गुड़ी पड़वा की सुबह, घरों के बाहर रंग-बिरंगी गुड़ियाँ सजाई जाती हैं। ये "गुड़ियाँ" लकड़ी की पट्टियों से बनाई जाती हैं, जिस पर रंगीन कपड़े और कागज़ से सजी होती हैं। गुड़ी के ऊपर आँवले, नींबू और लाल कपड़ा बांधा जाता है, जो समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक है।
सूरज की पहली किरणों के साथ ही, लोग अपने घरों की छतों पर चढ़ते हैं और गुड़ियाँ फहराते हैं। यह बुरी आत्माओं को भगाने और अच्छे भाग्य को आमंत्रित करने की मान्यता है।
गुड़ी पड़वा न केवल एक त्यौहार है, बल्कि महाराष्ट्रियन संस्कृति का एक अभिन्न अंग भी है। यह त्यौहार लोगों को एक साथ लाता है, खुशी और उत्साह का माहौल बनाता है, और आने वाले वर्ष के लिए नई आशाओं और संकल्पों का संचार करता है।
इस गुड़ी पड़वा, आइए हम सभी एक साथ रंगों में सराबोर हों, नए साल की शुरुआत का जश्न मनाएँ, और आने वाले दिनों के लिए शुभकामनाएँ दें।