आज गुरु गोविंद सिंह जयंती है। दसवें सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी को उनकी वीरता, बलिदान और सिख धर्म में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है।
गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर, 1666 को पटना में हुआ था। उनके पिता गुरु तेग बहादुर जी और माता माता गुजरी जी थे। गुरु गोविंद सिंह जी की शिक्षा बहुत अच्छी थी। उन्होंने संस्कृत, फारसी और पंजाबी भाषाओं में महारत हासिल की। वे एक कुशल योद्धा भी थे।
1675 में, उनके पिता गुरु तेग बहादुर जी को औरंगजेब के आदेश पर शहीद कर दिया गया था। गुरु गोविंद सिंह जी अपने पिता के उत्तराधिकारी बने। उन्होंने सिखों को औरंगजेब के अत्याचारों से बचाने के लिए खालसा पंथ की स्थापना की। खालसा पंथ का अर्थ है "शुद्ध"। इसमें पांच "ककार" शामिल हैं: केश, कंघा, कड़ा, किरपान और कच्छा।
गुरु गोविंद सिंह जी ने सिखों को कई युद्धों में नेतृत्व किया। उन्होंने मुगलों और पहाड़ी राजाओं को हराया। उन्होंने अपने अनुयायियों को धर्म की रक्षा के लिए लड़ने और अन्याय के खिलाफ खड़े होने की शिक्षा दी।
7 अक्टूबर, 1708 को नांदेड़ में गुरु गोविंद सिंह जी की हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या एक पठान ने की थी। गुरु गोविंद सिंह जी का सिख धर्म में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने सिखों को एकजुट किया और उन्हें एक मजबूत राष्ट्र बनाया। उन्होंने सिख धर्म के सिद्धांतों को स्थापित किया और सिखों को एक अलग पहचान दी।
गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती सिखों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन सिख गुरुद्वारों में इकट्ठा होते हैं और गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन और शिक्षाओं को याद करते हैं। इस दिन गुरुद्वारों में अमृत संचार होता है। अमृत संचार एक धार्मिक संस्कार है जिसमें व्यक्ति खालसा पंथ में शामिल होता है।
गुरु गोविंद सिंह जी एक महान योद्धा, शिक्षक और आध्यात्मिक गुरु थे। उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। उनकी जयंती हमें उनकी शिक्षाओं को याद रखने और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का अवसर प्रदान करती है।