गुरु पूर्णिमा




गुरु पूर्णिमा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह आध्यात्मिक जागरण, ज्ञान और ज्ञान के प्रसार के लिए समर्पित है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा या गुरु पूजा के रूप में भी जाना जाता है।

इस दिन, भक्त अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं, जो उन्हें ज्ञान, मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करते हैं। गुरु शिष्यों के जीवन में प्रकाश का मार्गदर्शक होते हैं, जो उन्हें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं।

  • गुरु पूर्णिमा की कथा:
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन योग के ज्ञान को सात ऋषियों को प्रसारित किया था। ये ऋषि सप्त ऋषि के नाम से जाने जाते थे और वे ज्ञान और बुद्धि के अवतार थे। इसलिए, गुरु पूर्णिमा को भी व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि व्यास जी सप्त ऋषियों में से एक थे।

  • गुरु पूर्णिमा का महत्व:
    • गुरु पूर्णिमा गुरु और शिष्य के बीच के पवित्र बंधन का उत्सव है।

    • यह आध्यात्मिक जागरण और ज्ञान की प्राप्ति का समय है।

    • यह गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर है।

  • गुरु पूर्णिमा की परंपराएं:
    • गुरु पूर्णिमा पर भक्त मंदिरों और आश्रमों में जाते हैं और अपने गुरुओं की पूजा करते हैं।

    • वे उन्हें फूल, फल और अन्य उपहार भेंट करते हैं।

    • श्रद्धालु भजन गाते हैं, प्रार्थना करते हैं और गुरुओं की महिमा करते हैं।

    • कुछ लोग उपवास रखते हैं और पूरे दिन ध्यान करते हैं।

    इस गुरु पूर्णिमा, आइए हम अपने गुरुओं को नमन करें और उनके मार्गदर्शन और आशीर्वाद के लिए आभारी रहें। उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाएं और आध्यात्मिक विकास के मार्ग पर आगे बढ़ें।