बचपन में मैंने जो सबसे पहला निवेश सीखा, वह था गुल्लक में पैसे जमा करना। ये मिट्टी का एक गोल बर्तन होता था, जिसके ऊपर एक छोटा सा मुंह होता था। इस मुंह से ही हम उसमें पैसे डालते थे। इसमें पैसा डालना एक तरह का रिवाज था। हम बच्चों को छोटी-छोटी रकम देते थे, जिसे हम गुल्लक में डाल देते थे।
पैसे जमा करना एक मजेदार प्रक्रिया थी। हर बार जब मैं एक सिक्का गुल्लक में डालता था, तो मुझे एक छोटी सी उपलब्धि का अहसास होता था। जैसे-जैसे गुल्लक भरता जाता, मैं यह सोचकर उत्साहित हो जाता था कि इसमें कितने पैसे हो गए होंगे।
कुछ महीनों बाद, जब गुल्लक पूरी तरह से भर जाता था, तो मेरे पिताजी इसे तोड़ते थे। यह एक रोमांचक पल होता था। हम सभी गुल्लक के टूटने का इंतजार करते थे, यह देखने के लिए कि उसमें कितने पैसे हैं। कभी-कभी तो हम इतने पैसे इकट्ठा कर लेते थे कि हम खुद भी हैरान रह जाते थे।
गुल्लक ने मुझे बचत का महत्व सिखाया। यह एक साधारण साधन था, लेकिन इससे मुझे पैसे की कीमत समझने में मदद मिली। मैंने सीखा कि अगर मैं नियमित रूप से थोड़े-थोड़े पैसे बचाता हूं, तो समय के साथ मैं एक बड़ी राशि जमा कर सकता हूं।
गुल्लक से मुझे अनुशासन का भी पाठ मिला। मुझे समझ में आया कि अगर मैं अपने लक्ष्य से भटकना नहीं चाहता, तो मुझे नियमित रूप से पैसे जमा करने होंगे। यह एक ऐसी आदत है जो मेरे जीवन भर काम आई है।
गुल्लक केवल पैसा जमा करने का एक साधन नहीं था। यह बचपन की यादों और खुशी का स्रोत भी था। मैं उन दिनों को कभी नहीं भूल सकता जब मैं अपने भाई-बहनों के साथ गुल्लक में पैसे जमा करता था।
आज भी, जब मैं एक गुल्लक देखता हूं, तो मुझे अपने बचपन की याद आ जाती है। यह एक ऐसी चीज है जो बचत और अनुशासन के महत्व को याद दिलाती है। यह एक ऐसी चीज है जो मुझे इस बात का एहसास दिलाती है कि छोटी-छोटी चीजें भी बड़ा फर्क ला सकती हैं।