दिवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला गोवर्धन पूजा का त्योहार भगवान कृष्ण की विजय का प्रतीक है। यह त्यौहार प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और गोधन की पूजा करने के लिए मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा की कथा बहुत ही रोचक है। एक बार इंद्र देव अभिमानी हो गए और उन्होंने सोचा कि वही सारे संसार के पालनहार हैं। इस अभिमान को दूर करने के लिए भगवान कृष्ण ने इंद्र को चुनौती दी और कहा कि इंद्र के बजाय अब लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा करेंगे।
इंद्र देव कृष्ण की बात से नाराज हुए और उन्होंने वृंदावन पर भारी बारिश की। बारिश इतनी तेज थी कि पूरे वृंदावन में बाढ़ आ गई। लोगों के घर टूटने लगे और उनके जानवर बहने लगे। तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और लोगों को बारिश से बचाया। इंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान कृष्ण से माफी मांगी।
गोवर्धन पूजा के दिन लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है और उस पर अन्नकूट चढ़ाया जाता है। अन्नकूट में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और गोवर्धन भगवान को भोग लगाया जाता है।
गोवर्धन पूजा पर्यावरण के प्रति आभार व्यक्त करने का भी पर्व है। इस दिन लोग पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प लेते हैं और पेड़-पौधे लगाते हैं।
We use cookies and 3rd party services to recognize visitors, target ads and analyze site traffic.
By using this site you agree to this Privacy Policy.
Learn how to clear cookies here