गोवर्धन पूजा: भगवान कृष्ण और पर्वत के बीच का अटूट बंधन




गोवर्धन पूजा, जिस दिन भगवान कृष्ण ने पौराणिक पहाड़ी गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों को भारी बारिश से बचाया था, यह एक ऐसा त्यौहार है जो भारत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। यह वही पहाड़ी है जिसके बारे में भगवान कृष्ण के बचपन से जुड़ी कई किंवदंतियां प्रचलित हैं।
गोवर्धन पर्वत के साथ भगवान कृष्ण का अनोखा रिश्ता
गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण के बीच का रिश्ता अटूट है। माना जाता है कि गोवर्धन पर्वत भगवान कृष्ण का ही एक विस्तार है जो अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए हमेशा मौजूद रहता है।

एक बार जब इंद्र देव ब्रह्मांड के सबसे शक्तिशाली देवता थे, तो उनके अहंकार ने उन्हें अंधा बना दिया। उन्होंने ब्रजवासियों से बारिश रोक दी, जिससे उन्हें सूखा और अकाल का सामना करना पड़ा। ब्रजवासियों की पीड़ा देखकर, भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया और इसे सात दिनों तक ऊपर रखा, जिससे उन्होंने ब्रजवासियों को इंद्र के क्रोध से बचाया। इस कार्य ने ब्रजवासियों के मन में भगवान कृष्ण के लिए अटूट श्रद्धा पैदा की।

गोवर्धन पूजा की विधि
गोवर्धन पूजा की विधि काफी विस्तृत है, लेकिन इसका सार गोवर्धन पर्वत की पूजा और भगवान कृष्ण को भोग अर्पित करना है।
  • गोबर से गोवर्धन पर्वत की एक मूर्ति बनाई जाती है, जिसे फूलों, पत्तियों और अन्य सजावट से सजाया जाता है।

  • इसके बाद, गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है, जिसमें जौ, दूध, दही, घी, शहद और पानी जैसे सोलह व्यंजनों को अर्पित किया जाता है।

  • पूजा के बाद, भक्त गोवर्धन पर्वत की सात परिक्रमा करते हैं।

  • अंत में, भगवान कृष्ण को भोग अर्पित किया जाता है, जिसमें दूध, डेसर्ट और फल शामिल होते हैं।

गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसका कई तरह से महत्व है:
  • कृष्ण-भक्ति: यह त्यौहार भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति को व्यक्त करने का एक अवसर है।

  • पर्यावरण संरक्षण: गोवर्धन पर्वत को पवित्र माना जाता है, और इस त्यौहार का पर्यावरण को सम्मानित करने और संरक्षित करने में भी महत्व है।

  • समुदायिक सद्भाव: गोवर्धन पूजा समुदायों को एक साथ लाता है और साझा धार्मिक विश्वासों और मूल्यों को मजबूत करता है।

गोवर्धन पूजा भारतीय संस्कृति और विरासत का एक अभिन्न अंग है। यह भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति का एक त्यौहार है, जो पर्यावरण संरक्षण और समुदायिक सद्भाव को भी बढ़ावा देता है।