घुलाम नबी आजाद




भारतीय राजनीति के दिग्गज नेताओं में से एक, घुलाम नबी आजाद का निधन एक अपूरणीय क्षति है। उनकी विलक्षण बुद्धिमत्ता, अटूट संकल्प और लोगों के प्रति असीम प्रेम ने उन्हें देश के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक बना दिया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

आजाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था। उनके पिता, ख्वाजा गुलाम मुहम्मद आजाद, एक कश्मीरी व्यापारी थे जो धार्मिक कारणों से मक्का में रह रहे थे। आजाद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता से प्राप्त की और बाद में मिस्र के अल-अजहर विश्वविद्यालय में अध्ययन किया, जो इस्लामी शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था।

भारत लौटने के बाद, आजाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। उनकी वाक्पटुता और देशभक्ति ने उन्हें जल्द ही जनता के बीच एक लोकप्रिय व्यक्ति बना दिया। उन्होंने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर काम किया।

स्वतंत्रता के बाद का कैरियर

भारत की स्वतंत्रता के बाद, आजाद ने देश के पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें कांग्रेस के जम्मू और कश्मीर राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने सफलतापूर्वक राज्य का पुनर्वास और पुनर्निर्माण किया, जो वर्षों के संघर्ष से तबाह हो गया था।

आजाद 1958 से 1963 तक केंद्रीय शिक्षा मंत्री भी रहे। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें व्यापक रूप से याद किया जाता है। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण सुधार हुए, जिनमें 10+2 शैक्षणिक प्रणाली की शुरूआत और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की स्थापना शामिल थी।

राष्ट्रीय सम्मेलन और स्वतंत्र राजनीति

1964 में, आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और जम्मू और कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस की स्थापना की। वह 1984 तक पार्टी के अध्यक्ष रहे। उनके नेतृत्व में, नेशनल कांफ्रेंस जम्मू और कश्मीर में एक शक्तिशाली राजनीतिक ताकत बन गई।

आजाद अपने पूरे जीवन भर धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सद्भाव के प्रबल समर्थक रहे। उन्होंने हमेशा देश की अखंडता और विविधता को बनाए रखने का प्रयास किया। वह भारत के विभाजन से भी बहुत दुखी थे और मानते थे कि यह एक अनावश्यक त्रासदी थी।

साहित्यिक योगदान

राजनीति के अलावा, आजाद एक विपुल लेखक भी थे। उन्होंने उर्दू और हिंदी दोनों में कई किताबें लिखीं। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में उनकी आत्मकथा, "इंडिया विन्स फ्रीडम" शामिल है। यह पुस्तक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक मूल्यवान वृत्तांत प्रदान करती है।

एक महान विरासत

घुलाम नबी आजाद एक सच्चे राष्ट्रवादी और एक प्रेरणादायक नेता थे। उनके असाधारण जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। उनकी विरासत भारतीय राजनीति और समाज में हमेशा सम्मानित की जाएगी।

एक भावनात्मक विदाई

आजाद का निधन एक ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती। वह एक बुद्धिमान, दयालु और कुलीन व्यक्ति थे। उनका ज्ञान, उनकी समझ और उनका देशभक्ति हमारे राष्ट्र के लिए एक अमूल्य संपत्ति थी।

आज, हम घुलाम नबी आजाद को श्रद्धांजलि देते हैं और उनके असाधारण जीवन और योगदान के लिए आभार व्यक्त करते हैं। उनका नाम भारतीय इतिहास में हमेशा सम्मान के साथ लिया जाएगा।