जनता का हुक्म आ गया है और देश की सियासत में बड़े बदलाव के संकेत दे गया है। इस बार के चुनावों में हर कोई उत्सुक था, माहौल गर्माया हुआ था और लोगों की राय बंटी हुई थी, लेकिन जब नतीजे सामने आए तो लोगों की धड़कनें थम गईं।
झटके पर झटके!एक तरफ जहां दिग्गज नेताओं को करारी हार का सामना करना पड़ा, वहीं दूसरी तरफ नए चेहरों ने बड़े-बड़े सियासी दिग्गजों को धूल चटा दी। इस बार के चुनावों में ऐसे कई चौंकाने वाले नतीजे आए जिनसे सियासी गलियारों में हलचल मच गई।
अब जब नतीजे आ चुके हैं, तो सियासी दलों के सामने सरकार बनाने की चुनौती है। हर दल अपनी-अपनी रणनीति बना रहा है, गठबंधन की बातचीत चल रही है। कौन किसके साथ हाथ मिलाएगा, यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा।
हालांकि, एक बात तो साफ है कि इस बार सरकार बनाना पिछली बार से ज्यादा मुश्किल हो गया है। किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है, इसलिए गठबंधन सरकार बनने की संभावना है। इस समय सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या NDA और UPA गठबंधन सरकार बना पाएंगे या फिर किसी तीसरे मोर्चे का उदय होगा।
लोकतंत्र की जीत!चुनावों का असली हीरो जनता है। इस बार भी जनता ने अपनी ताकत का परिचय दिया और अपने मनपसंद उम्मीदवारों को जीताकर सियासी दलों को सबक सिखाया। काश, ये चुनाव जनता को अच्छे नेता और अच्छी सरकार दें।