चुनावी नतीज़ों में छिपे दिलचस्प तथ्य
नमस्कार दोस्तों, इस बार लोकसभा चुनाव के नतीजे तो आप जान ही गए होंगे। लेकिन कुछ ऐसी रोचक बातें हैं जो शायद आपकी नज़र से छूट गई होंगी। तो आइए जानते हैं चुनावी नतीजों से जुड़े कुछ अनोखे और मज़ेदार तथ्य-
- सबसे उम्रदराज़ और सबसे नौजवान सांसद-
इस बार लोकसभा में सबसे उम्रदराज़ सांसद हैं भाजपा के बाहुबली नेता हरिभाई पटेल (88 साल) और सबसे नौजवान सांसद हैं 25 साल की टीएमसी सांसद मिमी चक्रवर्ती।
- सबसे कम वोट से जीत-
सबसे कम वोटों से जीत हासिल करने वाले सांसद हैं कांग्रेस के राजीव सातव जिन्होंने महाराष्ट्र के हिंगोली से महज़ 4509 वोटों से जीत हासिल की।
- सबसे ज़्यादा वोटों से जीत-
सबसे ज़्यादा वोटों से जीत दर्ज करने वाले सांसद हैं भाजपा के केजरीवाल रमेश बिधूड़ी जिन्होंने हरियाणा के सोनीपत से 6,92,057 वोटों से जीत हासिल की।
- सबसे ज़्यादा बार जीतने वाले सांसद-
सबसे ज़्यादा बार लोकसभा चुनाव जीतने के मामले में उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता लालू प्रसाद यादव आगे हैं। उन्होंने 10वीं बार संसद में प्रवेश किया है।
- सबसे ज़्यादा बार चुनाव हारने वाले सांसद-
सबसे ज़्यादा बार चुनाव हारने वाले सांसद हैं ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग जिन्हें 10 बार चुनावों में हार का सामना करना पड़ा।
- सबसे ज़्यादा करोड़पति सांसद-
इस बार लोकसभा में सबसे ज़्यादा करोड़पति सांसद हैं भाजपा के जिनकी औसत संपत्ति 25.67 करोड़ रुपये है। वहीं, सबसे कम करोड़पति सांसद हैं तृणमूल कांग्रेस के जिनकी औसत संपत्ति 12.71 करोड़ रुपये है।
- सबसे ज़्यादा पढ़े-लिखे सांसद-
इस बार लोकसभा में सबसे ज़्यादा पढ़े-लिखे सांसद हैं भाजपा के 176 सांसद जिन्होंने मास्टर डिग्री हासिल की है। इसके बाद दूसरे नंबर पर कांग्रेस के 103 सांसद हैं।
- सबसे कम पढ़े-लिखे सांसद-
सबसे कम पढ़े-लिखे सांसद हैं समाजवादी पार्टी के शकील अहमद जो सिर्फ चौथी कक्षा तक पढ़े हैं।
ये तो हुए चुनावी नतीजों के कुछ दिलचस्प तथ्य। अब बात करते हैं कुछ ऐसे नतीजों की जिनकी चर्चा सालों तक होगी।
भाजपा की ऐतिहासिक जीत
भाजपा ने इस बार लोकसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत हासिल किया है। यह लगातार दूसरी बार है जब भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल किया है। भाजपा के इस प्रदर्शन को ऐतिहासिक माना जा रहा है।
कांग्रेस का सबसे ख़राब प्रदर्शन
वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस का यह अब तक का सबसे ख़राब प्रदर्शन रहा है। कांग्रेस को मात्र 52 सीटें मिली हैं जो कि 2014 के चुनावों में मिली 44 सीटों से भी कम है।
क्षेत्रीय दलों का उदय
इस बार के चुनाव में क्षेत्रीय दलों का भी अच्छा प्रदर्शन रहा है। तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बसपा और वाईएसआर कांग्रेस जैसे क्षेत्रीय दलों ने अच्छी खासी सीटें हासिल की हैं।
नए गठबंधनों का असर
इस बार चुनाव में कई नए गठबंधन भी बने थे। इनमें से कुछ गठबंधनों को सफलता मिली तो कुछ को हार का सामना करना पड़ा। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा का गठबंधन सफल रहा लेकिन बिहार में कांग्रेस और राजद का गठबंधन हार गया।
चुनावी सर्वेक्षणों का चुनाव बाद में धुआँ-धुआँ होना
चुनावी सर्वेक्षणों का चुनाव नतीजों के बाद बुरा हाल हो गया है। ज़्यादातर सर्वेक्षणों ने भाजपा की कम सीटों की भविष्यवाणी की थी लेकिन नतीजे बिल्कुल अलग आए। इसने चुनावी सर्वेक्षणों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दोस्तों, ये थे चुनावी नतीजों से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य और चर्चा के कुछ मुख्य बिंदु। उम्मीद है आपको ये जानकारी पसंद आई होगी।
जय हिंद!