चुनावी बॉन्ड
आजकल चुनावी बॉन्ड का नाम अक्सर सुनाई देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह है क्या और यह कैसे काम करता है?
चुनावी बॉन्ड किसे कहते हैं?
चुनावी बॉन्ड भारत में राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक तरीका है। इसे निर्वाचन आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2018 में शुरू किया गया था।
चुनावी बॉन्ड कैसे काम करता है?
चुनावी बॉन्ड स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की कुछ शाखाओं में बताए गए दिनों में ही खरीदे जा सकते हैं। ये बॉन्ड 1,000 रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक की राशि में उपलब्ध हैं।
बॉन्ड खरीदने वाले को अपना नाम, पता और पैन नंबर देना होता है। बैंक इन विवरणों की गोपनीयता बनाए रखता है।
बॉन्ड खरीदने के बाद, उसे राजनीतिक दलों को दिया जा सकता है। दल बॉन्ड को अपने बैंक खाते में जमा कर सकते हैं। निर्वाचन आयोग इस खाते की निगरानी करता है।
चुनावी बॉन्ड के फायदे
* पारदर्शिता: चुनावी बॉन्ड पारंपरिक नकद चंदे की तुलना में अधिक पारदर्शी होते हैं।
* अनामता: बॉन्ड खरीदने वालों की पहचान गुप्त रखी जाती है।
* आसानी: बॉन्ड खरीदना आसान है और इसमें कम समय लगता है।
चुनावी बॉन्ड के नुकसान
* गोपनीयता की चिंताएं: कुछ चिंताएं हैं कि बॉन्ड की गुमनामी से भ्रष्टाचार में वृद्धि हो सकती है।
* असमानता: चुनावी बॉन्ड अमीर उम्मीदवारों को गरीब उम्मीदवारों पर अनुचित लाभ दे सकते हैं।
* राजनीतिक प्रभाव: यह चिंता है कि बॉन्ड कॉर्पोरेट और अन्य विशेष हितों को राजनीतिक दलों पर अनुचित प्रभाव दे सकते हैं।
निष्कर्ष
चुनावी बॉन्ड भारतीय राजनीति में चंदे देने का एक नया तरीका है। यह कुछ फायदे और नुकसान के साथ आता है। यह देखना बाकी है कि लंबे समय में चुनावी बॉन्ड का भारतीय लोकतंत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है।