चमकीला: एक स्टार जिसने बहुत जल्दी अंधेरा छोड़ा




एक क्षण में चमका और दूसरे ही क्षण बुझ गया। पंजाबी संगीत इंडस्ट्री के ऐसे ही एक चमकते हुए सितारे थे अमर सिंह चमकीला।

मेरी दादी-नानी के ज़माने में चमकीले का नाम सुनते ही परिवार में खुशी की लहर दौड़ जाती थी। उनकी धुनों पर थिरकते हुए जश्न मनाने में कितना मज़ा आता था, लेकिन वही चमकीला एक दिन इस दुनिया से एक दर्दनाक हादसे में हमेशा के लिए चला गया।

चमकीला का जन्म 1961 में पंजाब के मोगा जिले में एक किसान परिवार में हुआ था। बचपन से ही संगीत उनका जुनून था। 1985 में उनका पहला एल्बम "बच्चन बोले" रिलीज़ हुआ। उनकी गायन शैली और गीतों की सादगी ने उन्हें पंजाब के लोगों का चहेता बना दिया।

अमर सिंह चमकीला की समाज पर भी गहरी छाप थी। उनकी गीतों में गरीबों, किसानों और मजदूरों की व्यथा-कथा बयां होती थी। उनका गाना "जयते जगदीश हरे" आज भी पंजाबियों के दिलों में गूंजता है।

सफलता के शिखर पर रहते हुए चमकीला की ज़िंदगी में एक ऐसा मोड़ आया जिसने उन्हें हमेशा के लिए अंधेरे में धकेल दिया। 8 मार्च 1988 को मेले में हुई एक गोलीबारी में चमकीला और उनकी पत्नी अमरजोत कौर की हत्या कर दी गई।

आज भी चमकीले की हत्या एक रहस्य है, लेकिन उनके गीत आज भी लोगों के दिलों को छूते हैं। उनकी निजी ज़िंदगी के उतार-चढ़ावों से अलग, चमकीला ने पंजाबी संगीत को एक नई पहचान दी।

उनके चले जाने से पंजाबी संगीत इंडस्ट्री को एक बड़ा झटका लगा। उनके प्रशंसक आज भी उन्हें याद करते हैं और उनके गीतों को सुनकर उनकी मधुर आवाज़ में खो जाते हैं।

भले ही चमकीला अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके गीतों की चमक आज भी बनी हुई है, और उनके नाम से पंजाबी संगीत इंडस्ट्री में एक तारा हमेशा चमकता रहेगा।

"चमकीले दी आवाज़ ते गीत,
पंजाब दी धरती 'ते स्वर्ग नीत।
अपने गीतों दी चमक जिंदा राखी,
अमर सिंह चमकीला, तूं दिल में बस्ता राखी।"