लैटिन अमेरिका की यात्रा
1950 के दशक की शुरुआत में, ग्वेरा ने लैटिन अमेरिका की एक व्यापक यात्रा शुरू की, जो उनके जीवन और विचारों को आकार देने वाली साबित हुई। वह ग्वाटेमाला, पेरू, कोलंबिया और वेनेजुएला गए, जहाँ उन्होंने पहली बार प्रत्यक्ष रूप से गरीबी, उत्पीड़न और साम्राज्यवाद के प्रभावों को देखा। ये अनुभव उनके विश्वास को मजबूत करते गए कि लैटिन अमेरिका को क्रांति के माध्यम से मुक्त किया जाना चाहिए।क्यूबा की क्रांति
1955 में, ग्वेरा क्यूबा चले गए, जहाँ वे फिदेल कास्त्रो के नेतृत्व वाले कम्युनिस्ट विद्रोह में शामिल हो गए। उन्होंने क्यूबा की राजनीतिक क्रांति में एक प्रमुख भूमिका निभाई, जो 1959 में फ़िदेल कास्त्रो के सत्ता में आने के साथ समाप्त हुई। ग्वेरा क्रांतिकारी सरकार में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे, जिसमें सशस्त्र बलों के मंत्री भी शामिल थे।उसके विचार
ग्वेरा एक भावुक मार्क्सवादी थे जिन्होंने समाजवाद को सामाजिक अन्याय को समाप्त करने और एक अधिक न्यायपूर्ण और समान दुनिया बनाने का एकमात्र तरीका माना। उनका मानना था कि "सच्चा क्रांतिकारी" एक "हिंसा का मशीन" नहीं बल्कि एक "लोगों का मुक्तकर्ता" होना चाहिए। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि साम्राज्यवाद लैटिन अमेरिका के विकास के लिए एक प्रमुख बाधा था और इसे उखाड़ फेंका जाना चाहिए।उसका प्रभाव
चे ग्वेरा का क्यूबा की क्रांति पर गहरा प्रभाव था, और वह आज भी एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध और प्रिय व्यक्ति बने हुए हैं। उनकी छवि क्रांति, विरोध और सामाजिक न्याय का प्रतीक बन गई है। कई लोगों द्वारा उन्हें लैटिन अमेरिका के गरीबों और उत्पीड़ितों के चैंपियन के रूप में देखा जाता है।