जगदीप धनखड़: भारत के नए उपराष्ट्रपति, एक प्रेरक जीवन यात्रा का संक्षिप्त विवरण




बिहार के एक छोटे से गाँव से लेकर भारत के उपराष्ट्रपति बनने तक, जगदीप धनखड़ की यात्रा एक प्रेरणादायक कहानी है जो कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और अथक प्रयास की गवाही देती है।

धनखड़ का जन्म 18 मई, 1951 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के किठाना गाँव में किसान परिवार में हुआ था। अपने छोटे से गाँव में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद, उन्होंने बीकानेर के राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की।

राजस्थान हाईकोर्ट में अधिवक्ता के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने से पहले धनखड़ ने कुछ समय वकालत की। उन्होंने जल्द ही अपनी बुद्धि और तेज कानूनी दिमाग से अपने लिए एक नाम बनाया।

  • राजनीतिक शुरुआत

धनखड़ की राजनीतिक यात्रा 1989 में शुरू हुई जब वे जनता दल के टिकट पर झुंझुनूं से राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए। उन्होंने 1993 और 1998 में लगातार दोबारा चुनाव जीता।

  • केंद्रीय मंत्रालय और राज्यपाल

2019 में, धनखड़ को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया था। राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल को विवादों से भरा माना जाता था, क्योंकि उन्होंने राज्य सरकार के साथ कई मुद्दों पर टकराव किया था।

  • उपराष्ट्रपति पद

5 अगस्त, 2022 को, धनखड़ को भारत का उपराष्ट्रपति चुना गया। वह इस पद को संभालने वाले दूसरे दलित हैं।

एक प्रेरक व्यक्तित्व


धनखड़ एक प्रेरक व्यक्तित्व हैं जो सामाजिक न्याय और समानता के प्रबल समर्थक हैं। वह गरीबों और वंचितों के लिए एक मजबूत आवाज रहे हैं और उन्होंने हमेशा व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिए शिक्षा के महत्व पर जोर दिया है।

जगदीप धनखड़ की यात्रा हर किसी के लिए एक प्रेरणा है, जो साबित करती है कि कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और सकारात्मक दृष्टिकोण से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

क्या आप जानते हैं?


  • धनखड़ एक उत्साही पाठक हैं और उन्हें साहित्य, इतिहास और राजनीति में गहरी रुचि है।
  • वह एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने राजस्थान विधानसभा में तीन कार्यकाल और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में एक कार्यकाल पूरा किया है।
  • धनखड़ भारत के दूसरे दलित उपराष्ट्रपति हैं।