पिछले कुछ दिनों में जनता दल (संयुक्त) की चर्चा काफी बढ़ गई है। बिहार में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनता दल और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन से अलग होने के बाद जेडी(यू) एक बार फिर सुर्खियों में है। इस राजनीतिक उठापटक की वजह से बिहार की सियासी गलियारों में हलचल मची हुई है।
जेडी(यू) की इस राजनीतिक चालबाजी का बिहार की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा, यह कहना अभी मुश्किल है। однако इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जेडी(यू) के इस फैसले से बिहार की सियासत में एक नए अध्याय की शुरुआत हो गई है।
नीतीश कुमार के लिए बड़ी चुनौती
जेडी(यू) के लिए बीजेपी से अलग होना नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती है। बीजेपी के साथ गठबंधन में जेडी(यू) को काफी लाभ होता था। बीजेपी का संगठन और वोट बैंक जेडी(यू) के लिए मददगार था। अब बीजेपी के बिना जेडी(यू) को अपनी ताकत साबित करनी होगी।
बिहार की जनता का फैसला
आखिरकार बिहार की जनता ही फैसला करेगी कि जेडी(यू) का यह कदम सही है या गलत। बिहार की जनता ने हमेशा नीतीश कुमार के विकास कार्यों की सराहना की है। हालाँकि, बीजेपी से अलग होने के बाद जेडी(यू) के सामने कई चुनौतियाँ आने वाली हैं। यह देखना बाकी है कि नीतीश कुमार इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं।
सत्ता के लिए होड़
जेडी(यू) के बीजेपी से अलग होने के बाद बिहार में सत्ता के लिए होड़ तेज हो गई है। आरजेडी और कांग्रेस दोनों ही जेडी(यू) के साथ गठबंधन की संभावना तलाश रहे हैं। यह देखना बाकी है कि इन तीनों दलों के बीच गठबंधन बन पाता है या नहीं।
बिहार की राजनीति में आगे क्या होगा यह तो समय ही बताएगा। हालाँकि, यह तय है कि जेडी(यू) के बीजेपी से अलग होने के बाद बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ आ चुका है।