जन्माष्टमी की तिथि भद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पड़ती है। इस दिन, भक्त उपवास रखते हैं, पूजा करते हैं और भगवान कृष्ण को विभिन्न व्यंजन भोग लगाते हैं। भंडारे भी आयोजित किए जाते हैं, जहां प्रसाद और भोजन गरीबों और जरूरतमंदों के बीच वितरित किया जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी के उत्सव की कई परंपराएं हैं। मंदिरों को रंग-बिरंगे फूलों और रोशनी से सजाया जाता है। भक्त आधी रात को भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाते हैं, जिसे "जन्माष्टमी" कहा जाता है। इस पवित्र समय में, भक्त यज्ञ करते हैं और भगवान का गुणगान करते हैं।
भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था और वे अपने बचपन की कई कहानियों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी शरारतों और बुद्धि से लेकर उनके बांसुरी बजाने तक, कृष्ण ने दुनिया भर में लाखों भक्तों के दिलों में अपनी जगह बनाई है।
जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है। यह प्रेम, दया और साहस का भी उत्सव है। कृष्ण अपने गुणों और मूल्यों के आदर्श उदाहरण हैं, और जन्माष्टमी हमें उनके उपदेशों को याद रखने और उन्हें अपने जीवन में आत्मसात करने के लिए प्रेरित करती है।
जैसा कि हम जन्माष्टमी मनाते हैं, आइए हम भगवान कृष्ण की शिक्षाओं को याद रखें और उनके आदर्शों का पालन करें। आइए हम इस अवसर को प्रेम, सद्भाव और खुशी के उत्सव के रूप में बनाएं।
श्री कृष्ण जन्म की हार्दिक शुभकामनाएं!
जन्माष्टमी की खुशियाँ मनाने के कुछ तरीके: