ज़ोमैटो ने हाइक की प्लेटफ़ॉर्म फ़ीस




साल दर साल महंगाई बढ़ती जा रही है. चीज़ों के दाम में लगातार हो रही वृद्धि से हम सब अपनी जेब ढीली कर रहे हैं. खाने-पीने की चीज़ों में भी तेजी से महंगाई बढ़ रही है. लोगों को खाने का सामान खरीदने के लिए ज़्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. हाल ही में Zomato ने अपने प्लेटफ़ॉर्म की फ़ीस में वृद्धि कर दी है।

ज़ोमैटो एक लोकप्रिय फ़ूड डिलीवरी ऐप है. लोग घर बैठे इस ऐप के ज़रिए अपने पसंद का खाना ऑर्डर करते हैं. इस ऐप के इस्तेमाल करने के लिए फ़ूड डिलीवरी कंपनियां प्लेटफ़ॉर्म फ़ीस देती हैं. ये फ़ीस ऑर्डर की राशि के एक निश्चित प्रतिशत के रूप में होती है.

ज़ोमैटो ने हाल ही में अपनी प्लेटफ़ॉर्म फ़ीस में वृद्धि की घोषणा की है. पहले कंपनियां Zomato को ऑर्डर की राशि का 15% फ़ीस के रूप में देती थीं. लेकिन अब कंपनियों को 25% फ़ीस देनी होगी. इससे फ़ूड डिलीवरी कंपनियों की लागत बढ़ेगी.

फ़ूड डिलीवरी कंपनियों की बढ़ी हुई लागत का असर ग्राहकों पर भी पड़ेगा. कंपनियां इस बढ़ी हुई लागत को ग्राहकों से ऑर्डर पर लगने वाले डिलीवरी चार्ज में वृद्धि करके वसूल करेंगी. यानी अब लोगों को घर बैठे खाना ऑर्डर करने के लिए ज़्यादा पैसे चुकाने होंगे.

फ़ूड डिलीवरी कंपनियों की राय

फ़ूड डिलीवरी कंपनियां ज़ोमैटो द्वारा प्लेटफ़ॉर्म फ़ीस में की गई वृद्धि से नाख़ुश हैं. उनका कहना है कि इससे उनकी लागत बढ़ेगी, जिसका असर ग्राहकों पर पड़ेगा. कंपनियों का कहना है कि वो इस फ़ीस बढ़ोतरी को ग्राहकों पर नहीं डालना चाहते हैं. लेकिन अगर ज़ोमैटो इस फै़सले पर कायम रहा, तो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर होना पड़ेगा.

ग्राहकों की राय

ग्राहक भी ज़ोमैटो द्वारा प्लेटफ़ॉर्म फ़ीस में की गई वृद्धि से नाखुश हैं. उनका कहना है कि इससे घर बैठे खाना ऑर्डर करना और महंगा हो जाएगा. ग्राहकों का कहना है कि वो पहले से ही महंगाई से परेशान हैं. ऐसे में ज़ोमैटो की फ़ीस बढ़ोतरी से उनकी जेब पर और बोझ पड़ेगा.

ज़ोमैटो का पक्ष

ज़ोमैटो का कहना है कि प्लेटफ़ॉर्म फ़ीस बढ़ाने से उन्हें अपने बिज़नेस को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. कंपनी का कहना है कि वो इस पैसे का इस्तेमाल अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए करेगी. कंपनी का कहना है कि वो अपने ऐप में नए फ़ीचर्स जोड़ेगी और डिलीवरी को और बेहतर बनाएगी.

क्या है ज़रूरत

ज़ोमैटो को अपनी प्लेटफ़ॉर्म फ़ीस बढ़ाने पर पुनर्विचार करना चाहिए. कंपनी को ज़रूर अपने बिज़नेस में सुधार करने की ज़रूरत है. लेकिन ये सुधार ग्राहकों की जेब पर बोझ डालकर नहीं किया जाना चाहिए. ज़ोमैटो को अपने बिज़नेस मॉडल पर फिर से विचार करना चाहिए और ऐसे तरीके ढूंढने चाहिए जिससे वो अपनी लागत को बढ़ाए बिना अपने बिज़नेस में सुधार कर सके.