यह कहानी है जम्मू-कश्मीर के उन लोगों की, जो अब तक भारत के सबसे लंबे लोकतंत्र का स्वाद नहीं चख पाए थे।यह कहानी है जम्मू-कश्मीर की उन महिलाओं की, जो अब तक वोट देकर अपना प्रतिनिधि चुनने से वंचित थीं। यह कहानी है जम्मू-कश्मीर के उन युवाओं की, जिन्हें अब तक चुनाव में अपना भागीदारी का मौका नहीं मिला था।
यह कहानी एक ऐसी प्रक्रिया की है, जिसने जम्मू-कश्मीर के इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया। यह कहानी एक ऐसे चुनाव की है, जिसने जम्मू-कश्मीर के लोगों को एक नई उम्मीद दी है।यह कहानी है जम्मू-कश्मीर चुनाव की, जो अब तक का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण चुनाव था।
चुनाव की घोषणा के साथ ही पूरे जम्मू-कश्मीर में एक नई जान आ गई। लोगों में एक नई उम्मीद की किरण दिखाई दी। लोग अब तक वोट से वंचित रहे थे, लेकिन अब उन्हें लगा कि उनके हाथ में भी अपनी किस्मत बदलने का मौका आ गया है।
चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई तो लोगों में उत्साह का माहौल देखते ही बनता था। बड़ी संख्या में लोगों ने नामांकन दाखिल किया। यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी। जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल किया था।
प्रचार अभियान भी बहुत जोर-शोर से चला। सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। लोगों से वोट मांगे गए। वादे किए गए। जनसभाएं हुईं। रैलियां निकाली गईं। चुनाव का माहौल पूरे जम्मू-कश्मीर में छा गया था।
मतदान के दिन, जम्मू-कश्मीर के लोग बड़ी संख्या में मतदान केंद्रों पर पहुंचे। लोगों में मतदान को लेकर काफी उत्साह था। लोगों ने घंटों लाइन में खड़े होकर वोट किया। यह एक ऐसा नजारा था, जो जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पहली बार देखने को मिला था।
मतदान समाप्त होने के बाद मतगणना की प्रक्रिया शुरू हुई। मतगणना के दौरान भी लोगों में काफी उत्सुकता बनी रही। अंततः, परिणाम आया। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने सबसे अधिक सीटें जीतीं। यह जम्मू-कश्मीर के लोगों की जीत थी। यह एक नए युग की शुरुआत थी।
जम्मू-कश्मीर चुनाव एक ऐतिहासिक घटना थी। इस चुनाव ने जम्मू-कश्मीर को भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में पूरी तरह से शामिल कर दिया। इस चुनाव ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को एक नई उम्मीद दी है। यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के इतिहास में एक नया अध्याय है।