झंडा-ए-वतन, शान-ए-हिंदोस्तां!




भारत के राष्ट्रीय ध्वज में तिरंगे रंगों का एक गहरा प्रतीकवाद छिपा है। सबसे ऊपर के केसरिया रंग साहस, त्याग और शक्ति का प्रतीक है। सफेद रंग बीच में स्थित है, जो शांति, एकता और सत्य का प्रतिनिधित्व करता है। सबसे नीचे हरा रंग समृद्धि, उर्वरता और प्रकृति का प्रतीक है।
इस ध्वज को पहली बार 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा में अपनाया गया था। इसे बंगाल के एक युवा कलाकार, पिंगली वेंकय्या ने डिजाइन किया था। मूल रूप से, ध्वज में 'चक्र' नहीं था, लेकिन महात्मा गांधी के सुझाव पर इसे शामिल किया गया था। चक्र सत्य और धर्म की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
हमारे राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास गर्व और सम्मान की कहानियों से भरा है। यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम का एक अभिन्न अंग था। जब भगत सिंह और उनके साथियों ने लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध किया, तो उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज को फहराया था।
राष्ट्रीय ध्वज हमारे साहस और वीरता का भी प्रतीक है। 1965 के भारत-पाक युद्ध में, राइफलमैन जसवंत सिंह रावत ने राष्ट्रीय ध्वज को ऊंचा रखने के लिए अपनी जान दे दी। उनके इस बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
हमारे राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान हमारे देशभक्ति का एक चिन्ह है। जब हम इसे फहराते हैं या इसके नीचे खड़े होते हैं, तो हम अपनी मातृभूमि के प्रति हमारी निष्ठा और प्रेम की भावनाओं को व्यक्त करते हैं।
सच्ची घटना:
मुझे याद है कि जब मैं एक बच्चा था, तो मैं राष्ट्रीय ध्वज देखकर हमेशा रोमांचित होता था। यह मुझे हमारे देश की ताकत और गौरव की भावना देता था। एक बार, मैं अपने पिता के साथ स्वतंत्रता दिवस परेड को देखने गया था। जैसे ही भारतीय सेना ने राष्ट्रीय ध्वज के साथ मार्च किया, मुझे लगा जैसे मेरा दिल गर्व से फट जाएगा।

हमारे राष्ट्रीय ध्वज के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य:

  • राष्ट्रीय ध्वज का आकार हमेशा 3:2 के अनुपात में होता है।
  • ध्वज पर मौजूद चक्र का व्यास ध्वज की चौड़ाई का 1/4 होता है।
  • भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने और प्रदर्शित करने के नियमों का उल्लेख किया गया है।
  • आंदोलन का झंडा:
    हमारे राष्ट्रीय ध्वज ने केवल स्वतंत्रता संग्राम में ही नहीं, बल्कि वर्तमान में भी कई सामाजिक आंदोलनों में एक प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य किया है। हाल के वर्षों में, राष्ट्रीय ध्वज को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और किसान आंदोलन के विरोध में भी फहराया गया है।
    हमारे राष्ट्रीय ध्वज को हमेशा सम्मान और गर्व के साथ फहराना चाहिए। यह सिर्फ एक कपड़ा नहीं है, बल्कि यह हमारे देश, हमारी संस्कृति और हमारी आकांक्षाओं का प्रतीक है।
    भारत माता की जय!