राष्ट्र ध्वज वो निशानी जो देश के हर नागरिक का गौरव है, जिसे देखते ही छाती गर्व से चौड़ी हो जाती है। हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराया जाता है, हम सब हाथ सीने से लगा कर राष्ट्र गान गाते हैं और अपने राष्ट्र का गौरव बढ़ाते हैं। लेकिन क्या सिर्फ झंडा फहरा लेने से ही हम देशभक्त बन जाते हैं? क्या झंडा फहराने से ही हमारा देश बदल जाता है?
एक कहानी सुनाता हूँ
एक बार एक गाँव में एक बहुत बड़ा मेला लगा। उस मेले में दूर-दूर से लोग आए थे। मेले में एक छोटा सा लड़का घूम रहा था। उसकी नज़र एक झंडे पर पड़ी। वह झंडा बहुत ऊँचा था और आसमान में लहरा रहा था। लड़के को झंडा बहुत अच्छा लगा। उसका मन भी झंडा ऊपर फहराने को हुआ। वह झंडे वाले के पास गया और उससे पूछा कि क्या वह भी झंडा ऊपर फहरा सकता है। झंडे वाले ने हामी भर दी।
लड़का झंडे के पास आया और उसे फहराने लगा। लेकिन झंडा बहुत भारी था। लड़का बहुत ज़ोर लगा रहा था, लेकिन वह झंडा ऊपर नहीं उठा पा रहा था। काफी देर तक लड़के ने कोशिश की, लेकिन वह झंडा ऊपर नहीं उठा पाया।
तभी वहाँ एक आदमी आया। उसने लड़के को झंडा ऊपर उठाने में मदद की। लड़का बहुत खुश हुआ। उसने आदमी को धन्यवाद कहा और फिर अपने घर चला गया।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है?
यह कहानी हमें यही सीख देती है कि सिर्फ झंडा फहरा लेने से हम देशभक्त नहीं बन जाते। देशभक्ति तो एक भावना है, जो हमारे दिल में होनी चाहिए। हमें अपने देश से प्यार करना चाहिए। अपने देश के लिए कुछ करना चाहिए। तभी हम सच्चे देशभक्त कहलाएँगे।
आजादी का मतलब क्या है?
आजादी का मतलब है कि हम अपने देश में स्वतंत्र रूप से रह सकते हैं। हमें किसी से डरने की ज़रूरत नहीं है। हम अपने पसंद के काम कर सकते हैं। हम अपने देश के लिए काम कर सकते हैं।
आजादी एक बहुत बड़ी चीज़ है। हमें अपनी आजादी का सम्मान करना चाहिए। हमें अपने देश की रक्षा करनी चाहिए। तभी हम सच्चे देशभक्त कहलाएँगे।
हम अपने देश के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। हम:
आइए हम सब मिलकर अपने देश को एक बेहतर देश बनाएँ।
जय हिंद!