प्रस्तावना
तुंगाभद्रा, दो पवित्र नदियों का मिलन, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों की सीमा पर स्थित एक मनोरम स्थल है। यह नदीप्रणाली न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए भी जानी जाती है।नदी का जन्म
तुंगाभद्रा नदी दो प्रमुख नदियों, तुंगभद्रा और कृष्णा के संगम से बनती है। तुंगभद्रा नदी कर्नाटक के पश्चिमी घाट से निकलती है, जबकि कृष्णा नदी महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट से निकलती है। ये दोनों नदियाँ संगमेश्वर में मिलती हैं, जिससे तुंगाभद्रा का निर्माण होता है।नदी का प्रवाह
तुंगाभद्रा नदी कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों से होकर बहती है। यह लगभग 531 किलोमीटर की दूरी तय करती है और अंत में बंगाल की खाड़ी में मिलती है। नदी के तट पर कई महत्वपूर्ण शहर और कस्बे स्थित हैं, जिनमें होस्पेट, हम्पी, कुर्नूल और नंद्याल शामिल हैं।ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
तुंगाभद्रा नदी का भारतीय इतिहास और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है। प्राचीन काल से, यह नदी कई साम्राज्यों और राजवंशों के लिए एक महत्वपूर्ण जलमार्ग रही है। विजयनगर साम्राज्य के दौरान, तुंगाभद्रा नदी राजधानी हम्पी के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन मार्ग थी। हम्पी के खंडहर, जो आज एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, तुंगाभद्रा नदी के तट पर स्थित है।धार्मिक महत्व
तुंगाभद्रा नदी हिंदू धर्म में एक पवित्र नदी मानी जाती है। माना जाता है कि इसमें पवित्र स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। नदी के तट पर कई मंदिर हैं, जिनमें प्रसिद्ध संगमेश्वर मंदिर और लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर शामिल हैं।आधुनिक महत्व
आज, तुंगाभद्रा नदी कर्नाटक और आंध्र प्रदेश दोनों राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण जलाशय है। यह कृषि, पेयजल आपूर्ति और जलविद्युत उत्पादन के लिए पानी प्रदान करती है। तुंगभद्रा बांध, जो नदी पर बनाया गया है, भारत में सबसे बड़े बांधों में से एक है। यह बांध सिंचाई के लिए बड़ी मात्रा में पानी की आपूर्ति करता है और आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ को नियंत्रित करने में मदद करता है।पर्यावरणीय महत्व
तुंगाभद्रा नदी एक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र का भी घर है। नदी में विभिन्न प्रकार की मछलियों, पक्षियों और वन्यजीवों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। नदी के किनारे के जंगल में कई दुर्लभ और लुप्तप्राय पौधे और जानवर पाए जाते हैं।निष्कर्ष
तुंगाभद्रा नदी प्रकृति, इतिहास, संस्कृति और आधुनिकता का एक अद्भुत संगम है। यह नदी सदियों से कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों के लोगों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। चाहे वह इसकी शांत धाराएँ हों, ऐतिहासिक स्थल हों, धार्मिक महत्व हो या आर्थिक योगदान हो, तुंगाभद्रा नदी इन दोनों राज्यों के दिलों में एक विशेष स्थान रखती है।