तुंगभद्रा बांध- एक जलविद्युत और सिंचाई परियोजना की गाथा




क्या आप जानते हैं कि कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों की सीमा पर स्थित तुंगभद्रा बांध भारत का पहला संयुक्त उद्यम है? यह बांध दो नदियों तुंगभद्रा और हारीजी का संगम है, जो एक प्रभावशाली कृत्रिम झील बनाती है। चलिए इस भव्य संरचना के इतिहास, लाभों और इसके आसपास के क्षेत्र में इसके सांस्कृतिक महत्व पर एक नज़र डालते हैं।

इतिहास की एक झलक

तुंगभद्रा बांध की अवधारणा 1944 में हुई थी, जब मैसूर और हैदराबाद के तत्कालीन राज्य अपने संबंधित क्षेत्रों को सिंचित करने के लिए एक बहुउद्देशीय परियोजना की संभावना तलाश रहे थे। इस परियोजना का निर्माण 1953 में शुरू हुआ और 1957 में इसे पूरा किया गया।

जलविद्युत और सिंचाई

तुंगभद्रा बांध मुख्य रूप से एक जलविद्युत और सिंचाई परियोजना है। सात जलविद्युत जनरेटर से लैस है, जो 99 मेगावाट बिजली पैदा करता है। यह ऊर्जा कर्नाटक और आंध्र प्रदेश दोनों राज्यों में वितरित की जाती है।
सिंचाई के संदर्भ में, तुंगभद्रा बांध लगभग 3.2 मिलियन एकड़ भूमि को सिंचित करता है। यह परियोजना कर्नाटक में बल्लारी, रायचूर और कोप्पल जिलों और आंध्र प्रदेश में अनंतपुर और कुडप्पा जिलों को लाभ पहुंचाती है। सिंचाई से क्षेत्र में कृषि उत्पादकता में काफी वृद्धि हुई है और किसानों की आजीविका मजबूत हुई है।

पर्यावरणीय प्रभाव

तुंगभद्रा बांध पर्यावरण पर भी सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालता है। एक ओर, इसने क्षेत्र में हरे-भरे परिदृश्य का निर्माण किया है। झील वन्यजीवों के लिए एक अभयारण्य बन गई है, जिसमें मगरमच्छ और पक्षियों की कई प्रजातियाँ निवास करती हैं।
दूसरी ओर, बांध के निर्माण से कुछ पर्यावरणीय चिंताएँ भी पैदा हुई हैं। इसने नदी प्रवाह को बदल दिया है, जिससे नदी तल में कटाव हो गया है। जल भराव के कारण कुछ क्षेत्रों में जलभराव भी हो गया है।

सांस्कृतिक महत्व

तुंगभद्रा बांध न केवल एक प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजना है, बल्कि इसका सांस्कृतिक महत्व भी है। यह क्षेत्र विजयनगर साम्राज्य का हिस्सा था, और बांध के पास हम्पी जैसे कई ऐतिहासिक स्थल हैं। बांध स्वयं एक स्थापत्य चमत्कार है, जो स्थानीय वास्तुकला का एक उदाहरण है।

एक नज़र में लाभ

* जलविद्युत और सिंचाई के माध्यम से आर्थिक लाभ
* हरे-भरे परिदृश्य का निर्माण
* वन्यजीवों का संरक्षण
* सांस्कृतिक महत्व

भविष्य की संभावनाएं

तुंगभद्रा बांध एक निरंतर परियोजना है, और इसके भविष्य के लिए योजनाएं हैं। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश सरकारें सिंचाई क्षेत्र का विस्तार करने और जलविद्युत उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए बांध को अपग्रेड करने की योजना बना रही हैं।
इसके अतिरिक्त, बांध के आसपास के क्षेत्र को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना है। हम्पी जैसे ऐतिहासिक स्थलों के निकटता के साथ, तुंगभद्रा बांध भारत और दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता रखता है।

निष्कर्ष

तुंगभद्रा बांध भारत की एक उल्लेखनीय इंजीनियरिंग उपलब्धि है जो जलविद्युत और सिंचाई के माध्यम से महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है। यह पर्यावरण पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव डालता है, लेकिन यह क्षेत्र के सांस्कृतिक परिदृश्य का एक अभिन्न अंग भी है। बांध के भविष्य में व्यापक संभावनाएं हैं, और यह आने वाले कई वर्षों तक लोगों और पर्यावरण की सेवा करना जारी रखने की संभावना है।