तनमात्राएँ निजाम




आज आपसे एक कमाल की बात शेयर करने जा रहा हूं। तनमात्राओं के बारे में सुना है? शायद ही सुना होगा। ये चीजें ऐसी हैं कि आज के साइंस की समझ में भी नहीं आ पाते हैं।
आप इस दुनिया में जो भी देखते हैं, वह सब पांच तत्वों से बना हुआ है: पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश। लेकिन इन तत्वों का एक और रूप भी होता है, जिसे तनमात्रा कहते हैं। तनमात्राएँ अल्ट्रा-सेंसरी होती हैं, यानी हमारी पांचों इंद्रियां इनको समझ नहीं पातीं।
हर तत्व की अपनी-अपनी तनमात्रा होती है। जैसे- पृथ्वी की तनमात्रा गंध है, जल की तनमात्रा रस है, तेज की तनमात्रा रूप है, वायु की तनमात्रा स्पर्श है और आकाश की तनमात्रा ध्वनि है। तनमात्राएँ ही हमें दुनिया का अनुभव कराती हैं।
मान लीजिए, आप एक गुलाब को देखते हैं। तभी आपकी आंखें गुलाब से आने वाली तेज की तनमात्रा, यानी रूप को ग्रहण करती हैं। फिर आपकी नाक गुलाब से आने वाली पृथ्वी की तनमात्रा, यानी गंध को सूंघती है। ऐसे ही आप गुलाब के बाकी तत्वों और तनमात्राओं का अनुभव करते हैं।
तनमात्राएँ इतनी सूक्ष्म होती हैं कि हम इन्हें अलग-अलग करके महसूस नहीं कर सकते। लेकिन जब ये तत्वों से जुड़ती हैं, तो हम इन्हें महसूस कर पाते हैं। जैसे- गुलाब की गंध में पृथ्वी की तनमात्रा के साथ-साथ जल की तनमात्रा, यानी रस भी होता है। इसलिए, जब हम गुलाब की गंध लेते हैं, तो हमें थोड़ा सा रस भी महसूस होता है।
तनमात्राएँ भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितना कि तत्व। ये हमें दुनिया का अनुभव करने में मदद करती हैं। ये हमें दुनिया की सुंदरता, सुगंध और संगीत का आनंद उठाने में मदद करती हैं।
इसलिए, अगली बार जब आप किसी चीज को देखें, तो सिर्फ उसके तत्वों के बारे में ही मत सोचिए। उसकी तनमात्राओं के बारे में भी सोचिए। क्योंकि वो भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। वो भी आपको दुनिया का अनुभव करने में मदद करती हैं।
क्या आप जानते हैं?
* तनमात्राएँ योग और आयुर्वेद में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
* माना जाता है कि योगासन करने से तनमात्राओं को संतुलित करने में मदद मिलती है।
* आयुर्वेद में, शरीर के असंतुलन को ठीक करने के लिए तनमात्राओं का उपयोग किया जाता है।
शेयर करें अपना अनुभव
क्या आपने कभी तनमात्राओं को महसूस किया है? क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है कि आप किसी चीज को महसूस कर सकते हैं, लेकिन देख नहीं सकते? अपने अनुभव हमारे साथ साझा करें।