तमिलिसाई साउंडराजन: तमिलनाडु की पहली महिला राज्यपाल!




तमिलनाडु की पहली महिला राज्यपाल, तमिलिसाई साउंडराजन, भारतीय राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति हैं। उनका जन्म 2 जून, 1961 को तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में हुआ था। राजनीति में प्रवेश करने से पहले, तमिलिसाई एक डॉक्टर थीं और उन्होंने कई वर्षों तक ग्रामीण क्षेत्रों में काम किया।

राजनीतिक यात्रा

तमिलिसाई ने 1990 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वह 2001 से 2009 तक तमिलनाडु विधानसभा की सदस्य रहीं। 2014 में, वह तेलंगाना से लोकसभा के लिए चुनी गईं। 2019 में, उन्हें तमिलनाडु का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जिससे वह इस पद पर आसीन होने वाली पहली महिला बनीं।

राज्यपाल के रूप में योगदान

राज्यपाल के रूप में, तमिलिसाई साउंडराजन ने कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं। उन्होंने युवाओं के लिए कौशल विकास पहल का शुभारंभ किया है और महिला सशक्तिकरण के लिए कई अभियानों का भी समर्थन किया है। उन्होंने विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी को भी बढ़ावा दिया है और तमिलनाडु में शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।

विवादों

तमिलिसाई साउंडराजन विवादों का भी हिस्सा रही हैं। 2019 में, उन पर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के एक पूर्व मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया था। उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ आलोचनात्मक बयान देने के लिए भी आलोचना का सामना किया है।

व्यक्तिगत जीवन

तमिलिसाई साउंडराजन का विवाह पी. सौंथरराजन से हुआ है, जो एक आईएएस अधिकारी हैं। उनके दो बच्चे हैं। अपने राजनीतिक जीवन के अलावा, तमिलिसाई एक कुशल वक्ता और एक उत्साही सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं।

विशेषताएं

  • तमिलनाडु की पहली महिला राज्यपाल
  • एक अनुभवी राजनीतिज्ञ और डॉक्टर
  • युवाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण की प्रबल समर्थक
  • विवादों में घिरी हुई लेकिन एक मजबूत और मुखर व्यक्तित्व

तमिलिसाई साउंडराजन तमिलनाडु के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण शख्सियत हैं। राज्यपाल के रूप में उनके योगदान और उनकी दृढ़ता और लचीलापन उन्हें महिलाओं और पूरे समाज के लिए एक आदर्श बनाता है।