तिरंगा कैसा हो?




राष्ट्रीय ध्वज हमारी पहचान है। यह हमारे गौरव का प्रतीक है। हमारे देश की एकता और अखंडता की निशानी है। इसलिए यह जरूरी है कि हमारा राष्ट्रीय ध्वज सही और सम्मानजनक तरीके से फहराया जाए।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का डिज़ाइन भारतीय ध्वज संहिता, 2002 द्वारा निर्धारित किया गया है। ध्वज में तीन समान क्षैतिज पट्टियाँ हैं: सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरा। सफेद पट्टी के केंद्र में एक गहरे नीले रंग का अशोक चक्र है।

  • केसरिया रंग सूर्य की किरणों का प्रतिनिधित्व करता है, जो ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।
  • सफेद रंग शांति, एकता और सच्चाई का प्रतीक है।
  • हरा रंग उर्वरता, विकास और समृद्धि का प्रतीक है।
  • अशोक चक्र कानून और धर्म के चक्र का प्रतिनिधित्व करता है। इसके 24 तीलियाँ जीवन के 24 गुणों का प्रतीक हैं।

राष्ट्रीय ध्वज का आकार हमेशा लंबाई से 3:2 के अनुपात में होना चाहिए। इसका मतलब है कि अगर ध्वज की लंबाई 6 फीट है, तो उसकी चौड़ाई 4 फीट होनी चाहिए।

राष्ट्रीय ध्वज सम्मानजनक तरीके से फहराया जाना चाहिए। इसे जमीन पर नहीं छूना चाहिए या इसे फाड़ा नहीं जाना चाहिए। इसे सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक ही फहराया जाना चाहिए।

तिरंगे का इतिहास

भारत का राष्ट्रीय ध्वज महात्मा गांधी द्वारा डिजाइन किया गया था। उन्होंने इसे 1906 में पहली बार डिजाइन किया था। तब से इसमें कई बदलाव हुए हैं। वर्तमान डिज़ाइन को 1947 में अपनाया गया था।

तिरंगे का महत्व

राष्ट्रीय ध्वज हमारी राष्ट्रीयता का प्रतीक है। यह हमें एकता और अखंडता की भावना देता है। यह हमें हमारे देश पर गर्व करने की याद दिलाता है।

तिरंगे का सम्मान

राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है। हमें इसे सही और सम्मानजनक तरीके से फहराना चाहिए। हमें इसे गंदा या फटा हुआ नहीं करना चाहिए। हमें इसे जमीन पर नहीं छूना चाहिए या इसे फाड़ा नहीं जाना चाहिए।

तिरंगे का भविष्य

राष्ट्रीय ध्वज हमेशा हमारा गौरव और प्रतीक बना रहेगा। यह हमारी राष्ट्रीयता और एकता की निशानी रहेगी। आइए हम सभी मिलकर अपने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करें और इसे हमेशा ऊंचा रखें।

जय हिंद!