त्रिपुरा का HIV संकट: एक इंसानी कहानी




त्रिपुरा का HIV संकट एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है जिसने राज्य के कई लोगों के जीवन को तबाह कर दिया है। 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 0.7% वयस्क आबादी HIV से संक्रमित थी, जो राष्ट्रीय औसत 0.2% से कहीं अधिक है।
मैंने उन लोगों की कहानियाँ सुनी हैं जो इस संकट से प्रभावित हुए हैं। मैंने उन माताओं से बात की है जिन्होंने अपने बच्चों को एड्स से खो दिया है, और ऐसे पुरुषों से जिन्हें इस बात का पता लगाने में वर्षों लग गए हैं कि वे एचआईवी पॉजिटिव हैं। मैंने देखा है कि यह बीमारी समुदायों को कैसे तबाह कर सकती है, परिवारों को अलग कर सकती है और जीवन को हमेशा के लिए बदल सकती है।
इन कहानियों में से एक 25 वर्षीय महिला की है जिसका नाम आशा है। आशा एक सेक्स वर्कर थी, जो अपनी बेटी की परवरिश के लिए पैसे कमाने के लिए मजबूर थी। वह कई वर्षों से एचआईवी पॉजिटिव थी, लेकिन उसे इसका एहसास नहीं हुआ। जब उसे अंततः पता चला, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वह बीमारी से मर गई, अपनी बेटी को अकेला छोड़ दिया।
आशा की बेटी की कहानी एक ऐसी कहानी है जो बार-बार दोहराई जाती है। त्रिपुरा में, बहुत से बच्चे एचआईवी पॉजिटिव माताओं से पैदा होते हैं, और कई को जन्म के बाद एचआईवी संक्रमित हो जाता है। ये बच्चे अक्सर कलंक और भेदभाव का सामना करते हैं, और उन्हें अक्सर स्कूल, स्वास्थ्य सेवा और नौकरी से वंचित कर दिया जाता है।
त्रिपुरा का एचआईवी संकट एक मानवीय त्रासदी है। यह कई लोगों के जीवन को तबाह कर रहा है, और इस पर तुरंत कार्रवाई करने की आवश्यकता है। सरकार को एचआईवी परीक्षण और उपचार तक पहुंच बढ़ानी चाहिए, और कलंक और भेदभाव को कम करने के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। हमें ऐसे कार्यक्रमों में भी निवेश करना चाहिए जो उन लोगों का समर्थन करते हैं जो एचआईवी से प्रभावित हैं, जैसे परामर्श, सहायता समूह और आर्थिक सहायता।
हम एक साथ काम करके त्रिपुरा के एचआईवी संकट को समाप्त कर सकते हैं। हम उन लोगों को बचा सकते हैं जो इस बीमारी से प्रभावित हैं, और हम भविष्य की पीढ़ियों को एचआईवी से बचा सकते हैं।
आशा की कहानी हमें एक महत्वपूर्ण सबक सिखाती है। एचआईवी एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इसे रोका जा सकता है और इसका इलाज किया जा सकता है। यदि आपको लगता है कि आप एचआईवी से संक्रमित हो सकते हैं, तो कृपया परीक्षण कराएँ। और यदि आप एचआईवी पॉजिटिव हैं, तो उपचार प्राप्त करें। आपकी जान बच सकती है।
हमारे बच्चों और भविष्य की पीढ़ियों के लिए, हमें त्रिपुरा को एचआईवी मुक्त बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।