तिल्लू स्क्वायर: यादों की एक सैर




तिल्लू स्क्वायर, दिल्ली का एक व्यस्त चौराहा, मेरे हृदय में एक विशेष स्थान रखता है। यह वह जगह है जहां मेरी बचपन की कई यादें बनी हुई हैं, और हर बार जब मैं वहां जाता हूं, तो वे खूबसूरत पल मेरे सामने जीवंत हो उठते हैं।

बचपन में, तिल्लू स्क्वायर मेरे खेलने का मैदान था। मैं अपने दोस्तों के साथ यहां घंटों बिताया करता था, क्रिकेट खेलता, पतंग उड़ाता और बस शरारत करता। इस मैदान की मिट्टी पर मेरे पैरों के निशान बने हुए हैं, और हवा में हँसी की गूँज अभी भी मेरे कानों में गूंजती है।

इस चौराहे की सबसे खास बात थी इसका मशहूर अमरूद वाला पेड़।

गर्मियों के दिनों में, जब सूरज आग बरसाता था, तो हम पेड़ की छाँव में छिप जाते और इसके मीठे-मीठे अमरूद का आनंद लेते। अमरूद के बीज हमारे दांतों से चिपकते थे, लेकिन हमारी खुशियों को कम नहीं कर पाते थे।

तिल्लू स्क्वायर सिर्फ एक चौराहा नहीं है, यह एक जीवंत बाजार भी है। मैं अपनी माँ के साथ यहां अक्सर सब्जी खरीदने आता था। बाजार की हलचल और गंधों का मिश्रण हमेशा मुझे उत्साहित कर देता था।

वर्षों बाद, जब मैं एक वयस्क हो गया, तो तिल्लू स्क्वायर के प्रति मेरा प्रेम कम नहीं हुआ। मैं अक्सर अपने बच्चों को वही खेल खेलने के लिए वहां ले जाता हूं जो मैंने अपने बचपन में खेले थे। मैं उन्हें अपने अमरूद वाले पेड़ की कहानी भी सुनाता हूं, और वे मुझे उसी उत्साह से सुनते हैं जैसे मैं अपने माता-पिता से सुनता था।

दिल्ली के बदलते परिदृश्य में, तिल्लू स्क्वायर एक निरंतर बना हुआ है। यह मेरे जीवन में एक स्थिर बिंदु रहा है, एक ऐसा स्थान जहां अतीत, वर्तमान और भविष्य एक साथ मिलते हैं। जब भी मैं इस चौराहे पर खड़ा होता हूं, तो मुझे ऐसा लगता है जैसे समय थम गया हो। मैं अपनी बचपन की यादों में खो जाता हूं, और फिर अपने बच्चों के भविष्य के सपनों की कल्पना करता हूं। तिल्लू स्क्वायर मुझे उस यात्रा की याद दिलाता है जो हमने तय की है, और उस यात्रा की जो अभी भी बाकी है।

तिल्लू स्क्वायर, मेरे दिल का एक टुकड़ा,

जहां यादें खिलती हैं और सपने उड़ते हैं।