अगर आपकी सांस्कृतिक बाल्टी में रंग भरने की इच्छा है, तो थ्रिसूर पूरम से बेहतर कोई जगह नहीं है। यह केरल का सबसे बड़ा और सबसे शानदार त्योहार है, जो हर साल मई में लाखों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
यह त्योहार दो प्रतिद्वंद्वी मंदिरों, वडक्कुनाथन मंदिर और थेक्किनाथ मंदिर के बीच एक रंगीन युद्ध है। दोनों मंदिर अपने शानदार हाथियों की सजावट के लिए प्रसिद्ध हैं, जो इतने बड़े और भव्य हैं कि वे आसमान को छूते हुए प्रतीत होते हैं।
पूरम के दिन, शहर रंगीन झंडों और रोशनी से सज जाता है। सड़कें उत्सव के माहौल से गूंज उठती हैं, क्योंकि लोग पारंपरिक वेशभूषा पहने नाचते और गाते हुए निकलते हैं।
हाथियों की भव्य परेड पूरम का मुख्य आकर्षण है। हाथियों को सोने के आभूषणों, डिजाइनर वेशभूषा और फूलों की मालाओं से सजाया जाता है। वे ऊंचे मंचों पर खड़े होते हैं, जो उनके राजसी रूप को और बढ़ाते हैं।
जब हाथी एक-दूसरे का सामना करते हैं, तो वे अपनी मस्तक को आपस में मिलाते हैं और अपनी आंखों से चिंगारियां उड़ाते हैं। यह नजारा देखने लायक होता है, क्योंकि ये महान जीव अपनी ताकत और शक्ति का प्रदर्शन करते हैं।
लेकिन पूरम सिर्फ हाथियों का युद्ध नहीं है। यह संगीत, नृत्य और अन्य पारंपरिक कला रूपों का भी जश्न है। पूरम के मैदान में कई मंच स्थापित किए जाते हैं, जहाँ कलाकार अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं।
थ्रिसूर पूरम का अनुभव करने के लिए, आपको जल्दी बुकिंग करानी होगी, क्योंकि यह त्योहार बहुत लोकप्रिय है। लेकिन अगर आप सही समय पर पहुंच जाते हैं, तो आप अपने जीवन का सबसे रंगीन त्योहार देख सकते हैं।
तो, तैयार हो जाइए थ्रिसूर पूरम की अविस्मरणीय यात्रा के लिए, जहाँ देवताओं का रंगीन युद्ध आपको मंत्रमुग्ध कर देगा।