दीपिंदर गोयल: ज़ोमैटो के सह-संस्थापक की सफलता की कहानी




किस्सागोई:
2008 की एक सर्द शाम, दो दोस्त दीपिंदर गोयल और पंकज चड्ढा ने दिल्ली की सड़कों पर गाड़ी चलाई। शहर की हलचल के बीच, उन्होंने एक समस्या देखी - लोगों को अच्छे रेस्टोरेंट खोजने में परेशानी होती थी। इसी से जन्मा ज़ोमैटो का विचार।
एक अथक उद्यमी:
दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद, दीपिंदर ने बैन कैपिटल में एक परामर्शदाता के रूप में काम किया। हालांकि, उनका असली जुनून उद्यमिता था। ज़ोमैटो की स्थापना से पहले, उन्होंने कई असफल स्टार्टअप की सह-स्थापना की। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
ज़ोमैटो की स्थापना:
2008 में, दीपिंदर और पंकज ने ज़ोमैटो लॉन्च किया। शुरूआत में, यह सिर्फ दिल्ली-एनसीआर के लिए एक ऑनलाइन रेस्तरां गाइड था। लेकिन जल्द ही, यह भारत के सबसे बड़े फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म में से एक बन गया।
चुनौतियां और विजय:
ज़ोमैटो की यात्रा चुनौतियों से भरी रही है। हाइपरलोकल डिलीवरी मार्केट में तीव्र प्रतिस्पर्धा, स्विगी सहित, थी। इसके अलावा, COVID-19 महामारी ने उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया। लेकिन दीपिंदर ने इन बाधाओं का सामना दृढ़ संकल्प और नवाचार के साथ किया।
एक टिकाऊ व्यवसाय का निर्माण:
ज़ोमैटो न केवल एक सफल व्यवसाय है, बल्कि एक टिकाऊ भी है। दीपिंदर ने पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदार प्रथाओं को अपनाया, जैसे प्लास्टिक के उपयोग को कम करना और अपशिष्ट को कम करना। उन्होंने सामाजिक पहलों का भी समर्थन किया है, जैसे भूख मिटाने के कार्यक्रम।
एक प्रेरणादायक नेता:
दीपिंदर न केवल एक सफल उद्यमी हैं, बल्कि एक प्रेरणादायक नेता भी हैं। अपने कर्मचारियों को वह प्रेरित करते हैं और समर्थन करते हैं, एक सकारात्मक और उत्पादक कार्य वातावरण बनाते हैं। उनकी कहानी नवोदित उद्यमियों और सभी के लिए प्रेरणादायक है जो अपने जुनून का पीछा करना चाहते हैं।
फ्यूचर विजन:
ज़ोमैटो के भविष्य के लिए दीपिंदर का दृष्टिकोण महत्वाकांक्षी है। वह कंपनी को न केवल एक फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म, बल्कि एक लाइफस्टाइल ब्रांड के रूप में विकसित करना चाहते हैं। वह ग्रॉसरी, ब्यूटी और वेलनेस सहित नए उद्योगों का पता लगाने की भी योजना बना रहे हैं।
निष्कर्ष:
दीपिंदर गोयल की कहानी एक अथक उद्यमी, एक प्रेरणादायक नेता और एक दूरदर्शी व्यापारी की कहानी है। ज़ोमैटो की सफलता उनकी दृढ़ता, नवाचार और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उनकी विरासत भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को आने वाले कई वर्षों तक प्रेरित करती रहेगी।