नवरात्री में, हम 'शक्ति' के नौ स्वरूपों का आह्वान करते हैं, जो सभी अलग-अलग विशेषताओं और विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। पांचवां स्वरूप, जिसे स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है, माँ दुर्गा का तीसरा रूप है और उनकी बाल ममता का प्रतीक है।
स्कंदमाता का स्वरूपस्कंदमाता को उनके पुत्र, भगवान कार्तिकेय या स्कंद की गोद में बैठे हुए एक युवा और सुंदर महिला के रूप में चित्रित किया गया है। वह अपने चार हाथों में कमल, चक्र, गदा और वरमुद्रा धारण करती हैं। कमल ज्ञान और पवित्रता का प्रतीक है, चक्र ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है, गदा शक्ति का प्रतीक है, और वरमुद्रा आशीर्वाद प्रदान करने का इशारा है।
स्कंदमाता का वाहन एक शेर है, जो साहस और शक्ति का प्रतीक है। वह सफेद रंग से जुड़ी हैं, जो शुद्धता और निर्दोषता का प्रतिनिधित्व करता है।
स्कंदमाता का महत्वस्कंदमाता की पूजा करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:
स्कंदमाता की पूजा करने का सबसे अच्छा समय नवरात्री के पांचवें दिन होता है। पूजा में निम्नलिखित कदम शामिल हैं:
माँ दुर्गा के पांचवें स्वरूप के रूप में, स्कंदमाता माँ के प्यार और सुरक्षा का प्रतीक हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को मातृत्व, संतान की सुरक्षा, साहस और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नवरात्री के पांचवें दिन, माँ स्कंदमाता की पूजा करें और उनके आशीर्वाद से जीवन में शांति और समृद्धि पाएं।