दुलीप ट्रॉफी भारतीय घरेलू क्रिकेट का एक प्रतिष्ठित टूर्नामेंट है, जो 1961 से आयोजित किया जा रहा है। इस टूर्नामेंट का नाम महाराजा दुलीपसिंहजी के नाम पर रखा गया है, जो नवानगर के शासक और एक महान क्रिकेटर थे।
ये टूर्नामेंट जोनल प्रारूप में खेला जाता है, जिसमें पाँच जोन होते हैं: उत्तरी, पूर्वी, पश्चिमी, मध्य और दक्षिण। प्रत्येक ज़ोन में कई राज्य की टीमें होती हैं जो एक दूसरे के ख़िलाफ़ प्रतिस्पर्धा करती हैं। ज़ोन के टॉप पर रहने वाली टीमें सेमीफ़ाइनल के लिए क्वालिफाई करती हैं, जो नॉकआउट आधार पर खेले जाते हैं।
दुलीप ट्रॉफी ने भारतीय क्रिकेट को कई दिग्गज दिए हैं, जिनमें सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और विराट कोहली जैसे नाम शामिल हैं। ये टूर्नामेंट युवा खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने और राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने का मौका प्रदान करता है।
दुलीप ट्रॉफी भारतीय क्रिकेट का एक अभिन्न अंग है। यह टूर्नामेंट प्रशंसकों को उच्च गुणवत्ता वाले क्रिकेट का आनंद लेने, उभरते हुए सितारों की पहचान करने और खेल के प्रति अपने जुनून का जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है।
दुलीप ट्रॉफी की एक समृद्ध विरासत है, जिसमें कई यादगार क्षण और शानदार प्रदर्शन शामिल हैं।
1962 में, मंसूर अली खान पटौदी ने 499 रन बनाकर इस टूर्नामेंट में सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड बनाया था।
1982 में, कपिल देव ने इस टूर्नामेंट में 15 विकेट लेकर सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन का रिकॉर्ड बनाया था।
दुलीप ट्रॉफी ने भारतीय घरेलू क्रिकेट में कुछ सर्वश्रेष्ठ प्रतिद्वंद्विताओं को जन्म दिया है, जैसे कि मुंबई-दिल्ली और तमिलनाडु-कर्नाटक।
दुलीप ट्रॉफी भारतीय घरेलू क्रिकेट का एक लगातार विकसित हो रहा टूर्नामेंट है। बीसीसीआई ने हाल ही में टूर्नामेंट के प्रारूप को संशोधित किया है ताकि इसे और अधिक प्रतिस्पर्धी और रोमांचक बनाया जा सके।
दुलीप ट्रॉफी का भविष्य उज्ज्वल दिखाई देता है। यह टूर्नामेंट भारतीय क्रिकेट को प्रतिभाशाली खिलाड़ी प्रदान करना जारी रखेगा और देश में खेल के प्रति जुनून को बढ़ावा देगा।