दिल्ली एयरपोर्ट का टर्मिनल 1: यादों का खजाना




एक बार की बात है, दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट का टर्मिनल 1 हुआ करता था। आइए हम उस शानदार जमाने की यादों में खो जाएं।

टर्मिनल 1, एक वास्तुशिल्पीय कृति, 1986 में बना था और तीन दशकों से अधिक समय तक यात्रियों की सेवा करता रहा। यह न केवल एक परिवहन केंद्र था, बल्कि यह संस्कृति, विविधता और मानवीय संबंधों का भी गवाह था।

यादें बनाने की जगह

टर्मिनल 1 एक ऐसी जगह थी जहां अजनबी मिलते थे, सपने बनते थे और कहानियां बुनी जाती थीं। मैंने वहां पहली बार अपने बचपन के दोस्त को विदा किया, जो पढ़ाई के लिए विदेश जा रहा था। उसकी आँखों में उदासी और रोमांच का मिश्रण था। मैं वहां से गुजरा जब मेरे दादा मुझे विदेश से मिलने आ रहे थे। उनकी आंखों में चमक और मुस्कान मेरे लिए दुनिया से ज्यादा मूल्यवान थी।

यात्रियों की व्यस्तता के बीच, टर्मिनल 1 मानवीय भावनाओं का गवाह था। मैंने प्यार में पड़े जोड़ों को अलविदा कहते देखा, बांहों को कस कर पकड़े हुए, जैसे समय को रोकना चाहते हों। मैंने देखा है कि माता-पिता अपने बच्चों को विदेश भेजते हैं, उनकी आँखों में आँसू और गर्व दोनों झलकते हैं।

संस्कृतियों का संगम

टर्मिनल 1 विभिन्न संस्कृतियों का एक पिघलने वाला बर्तन था। दुनिया भर से आने वाले यात्रियों ने अपनी कहानियों और परंपराओं को साझा किया। टर्मिनल में खाने-पीने के स्टॉल उनकी संस्कृतियों का प्रतिबिंब थे, जो स्वादिष्ट व्यंजनों और सुगंधों की एक आकर्षक श्रृंखला पेश करते थे।

मैंने एक बार टर्मिनल में एक जापानी परिवार को देखा था, जो अपनी पारंपरिक पोशाक पहने हुए था। उनकी छोटी लड़की किमोनो में बहुत प्यारी लग रही थी, और उसके माता-पिता गर्व से उसकी तस्वीरें ले रहे थे। मैं एक अन्य टर्मिनल में एक समूह ब्रिटिश पर्यटकों से मिला था, जो भारतीय संस्कृति के बारे में बहुत उत्साहित थे। उन्होंने मुझसे स्थानीय आकर्षणों और परंपराओं के बारे में पूछा, और मैं उन्हें भारतीय संस्कृति की सुंदरता से अवगत कराने में खुश था।

यादों को संजोना

2018 में, टर्मिनल 1 को पुनर्विकास के लिए बंद कर दिया गया था। जैसे ही मैं बंद किए गए टर्मिनल से गुजरा, मुझे वहां बिताए पलों की याद आई। मैंने अपने परिवार के साथ ली गई तस्वीरें देखीं, दोस्तों के साथ हंसी और अजनबियों के साथ हुई बातचीत को याद किया।

टर्मिनल 1 को भले ही बंद कर दिया गया हो, लेकिन वहां बनी यादें हमेशा मेरे साथ रहेंगी। यह यादों का खजाना है, जो मुझे हमारे जीवन के उन बहुमूल्य क्षणों की याद दिलाता है जो वहां बिताए गए थे।

जैसे ही हम नए और आधुनिक टर्मिनलों में आगे बढ़ते हैं, आइए हम टर्मिनल 1 की विरासत को संजोए रखें। यह एक ऐसी जगह थी जहां संस्कृतियां मिलती थीं, सपने बनते थे और यादें बनाई जाती थीं। दिल्ली एयरपोर्ट का टर्मिनल 1 एक भौतिक संरचना से कहीं अधिक था; यह मानवीय अनुभवों का एक प्राणवान साक्षी था।