नोआम चॉम्स्की: भाषा के पिता, मन के रहस्यों को उजागर करते हुए




"हर बच्चे में भाषा सीखने की एक असाधारण क्षमता होती है।" - नोआम चॉम्स्की
भाषाविज्ञान की दुनिया में, एक व्यक्ति का नाम गूँजता है - नोआम चॉम्स्की। अपने क्रांतिकारी सिद्धांतों के साथ, चॉम्स्की ने न केवल भाषा को समझने के हमारे तरीके को बदल दिया है, बल्कि हमारे स्वयं के मन को समझने के तरीके को भी बदल दिया है।
प्रारंभिक जीवन और प्रेरणा
चॉम्स्की का जन्म 1928 में फिलाडेल्फिया में हुआ था। भाषा में उनकी रुचि बचपन से ही स्पष्ट थी। उन्होंने महसूस किया कि बच्चे अविश्वसनीय गति से भाषा सीखते हैं, भले ही उन्हें स्पष्ट निर्देश नहीं दिए जाते हैं। यह अवलोकन उनके बाद के सिद्धांतों का आधार बन गया।
जनरेटिव ग्रामर का सिद्धांत
1957 में, चॉम्स्की ने "सिंटैक्टिक स्ट्रक्चर्स" प्रकाशित किया, जो भाषाविज्ञान में एक मील का पत्थर था। इसमें, उन्होंने जनरेटिव ग्रामर का अपना सिद्धांत प्रस्तावित किया। इस सिद्धांत के अनुसार, सभी मानवीय भाषाएँ एक अंतर्निहित व्याकरण साझा करती हैं - एक सार्वभौमिक ग्रामर।
चॉम्स्की ने तर्क दिया कि यह सार्वभौमिक ग्रामर जो बच्चों को किसी भी भाषा को इतनी तेज़ी से सीखने की अनुमति देता है। बच्चे कुछ निश्चित नियमों और सिद्धांतों का पालन करते हुए, व्याकरण का निर्माण स्वयं करते हैं।
भाषा और मन
चॉम्स्की के काम ने भाषा को मन के एक रहस्य के रूप में देखने के तरीके को बदल दिया। उन्होंने तर्क दिया कि भाषा हमारे मन की एक जन्मजात संपत्ति है, जो हमारे डीएनए में एन्कोडेड है। यह विचार क्रांतिकारी था और इससे संज्ञानात्मक विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध हुआ।
राजनीतिक सक्रियता
भाषाविज्ञान के अलावा, चॉम्स्की एक प्रखर राजनीतिक कार्यकर्ता भी रहे हैं। उन्होंने अमेरिकी विदेश नीति की आलोचना की है, इराक युद्ध का विरोध किया है और असमानता और सामाजिक अन्याय के मुद्दों पर बोलते रहे हैं।
विवाद और विरासत
चॉम्स्की के काम की व्यापक रूप से प्रशंसा की गई है, लेकिन यह विवादों से भी घिरा रहा है। कुछ आलोचकों ने उनके जनरेटिव ग्रामर सिद्धांत की आलोचना की है, जबकि अन्य ने उनकी राजनीतिक चर्चाओं की वैधता पर सवाल उठाया है।
इसके बावजूद, चॉम्स्की भाषाविज्ञान के क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली और महत्वपूर्ण विद्वानों में से एक बने हुए हैं। उनके सिद्धांतों ने हमारी भाषा को समझने और हमारे स्वयं के मन को समझने के तरीके को बदल दिया है।
एक व्यक्तिगत नोट
भाषा के प्रति चॉम्स्की के जुनून ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है। उनकी खोजों ने मुझे गहरी समझ दी है कि भाषा कैसे काम करती है और इसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है। यह समझ मुझे दुनिया को बेहतर ढंग से समझने और उसके साथ जुड़ने में मदद करती है।
चॉम्स्की के काम की विरासत आने वाले कई वर्षों तक लोगों को प्रेरित करती रहेगी। भाषाविज्ञान के पिता के रूप में, उन्होंने हमारे मन और हमारी दुनिया के बारे में हमारी समझ को बढ़ाया है।