निकहत ज़रीन: बॉक्सिंग की दुनिया की शेरनी




हेलो दोस्तों, आज हम बात करेंगे एक ऐसी महिला की जिसने बॉक्सिंग की दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है। यह महिला कोई और नहीं बल्कि निकहत ज़रीन हैं। तो चलिए शुरू करते हैं निकहत ज़रीन की कहानी...
बचपन और शुरुआत
निकहत का जन्म 14 जून 1993 को तेलंगाना के निज़ामाबाद में हुआ था। उनके पिता एक किसान थे और माँ एक गृहिणी। निकहत के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन वो अपनी बेटी को जी-जान से सपोर्ट करते थे। निकहत शुरू से ही खेलों में रुचि रखती थीं। उन्होंने 12 साल की उम्र में बॉक्सिंग शुरू की।
प्रारंभिक उपलब्धियाँ
निकहत ने बॉक्सिंग शुरू करने के कुछ सालों बाद ही अपनी प्रतिभा दिखाना शुरू कर दिया। उन्होंने 2010 में राष्ट्रीय जूनियर महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती। इसके बाद, उन्होंने 2011 में एशियन जूनियर महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता
निकहत ज़रीन ने 2014 में अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। उन्होंने इसी साल एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता। इसके बाद, उन्होंने 2015 में विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।
  • 2018 में, निकहत ने कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता।
  • 2019 में, उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
  • 2022 में, उन्होंने विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
  • निकहत की सबसे बड़ी उपलब्धि 2022 में आई। उन्होंने इसी साल बर्मिंघम में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता। इस जीत के साथ, वो कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बन गईं।
    प्रसिद्धि और पहचान
    निकहत ज़रीन की उपलब्धियों को पूरे भारत में सराहा गया है। उन्हें 2022 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

    निकहत ज़रीन अपने खेल और अपने देश के लिए जुनून के लिए जानी जाती हैं। वो एक प्रेरणा हैं और अपने खेल के माध्यम से लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं।

    समाज पर प्रभाव
    निकहत ज़रीन की सफलता का समाज पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने साबित किया है कि महिलाएं भी किसी भी क्षेत्र में पुरुषों के समान सफल हो सकती हैं। वो महिला सशक्तिकरण की प्रतीक हैं और लड़कियों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती हैं।