नेताजी की प्रतिमा, जो दिन में राजनीतिज्ञ और रात में शेर बन जाती है!




आपने राजनीतिक कॉमेडी के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी राजनीतिक मूर्तिकला के बारे में सुना है?
जी हां, तमिलनाडु के नागरकोविल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक मूर्ति ऐसी है जो इसी विशेषता से सुसज्जित है। दिन के उजाले में, यह एक सम्मानजनक नेता की गरिमामय प्रतिमा है, लेकिन रात के अंधेरे में, यह एक दहाड़ते हुए शेर में बदल जाती है!
यह अद्भुत मूर्ति मूर्तिकार पी. रविचंद्रन की रचना है, जो नेताजी के प्रति अपनी प्रशंसा और अपने राज्य के प्रतीक, शेर के प्रति सम्मान व्यक्त करना चाहते थे। उन्होंने एक अनोखी तकनीक का उपयोग किया है जिसमें दिन में मूर्ति का नेताजी पक्ष दिखाई देता है, जबकि रात में विशेष लाइटिंग से शेर का आकार उभरकर आता है।
यह परिवर्तन देखने में उतना ही अद्भुत है जितना कि यह सुनने में है। शाम ढलते ही, जब आसमान में तारे टिमटिमाने लगते हैं, शेर की आकृति धीरे-धीरे नेताजी की छवि को ढँक लेती है। यह एक ऐसा दृश्य है जो किसी को भी रोमांचित कर सकता है, एक ऐसा दृश्य जो केवल भारत में ही संभव है जहाँ हमारी विरासत और पौराणिक कथाएँ एक अनूठे तरीके से जुड़ती हैं।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस और शेर दोनों ही ताकत और वीरता के प्रतीक हैं। नेताजी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महान योद्धा थे, और शेर भारत का राष्ट्रीय पशु है, जिसे साहस और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। नागरकोविल की मूर्ति इन दोनों प्रतीकों को एक अद्भुत तरीके से जोड़ती है, जो नेताजी की विरासत और भारत की सांस्कृतिक पहचान दोनों को श्रद्धांजलि देती है।
इस मूर्ति की ख्याति अब पूरे देश में फैल चुकी है। पर्यटक और स्थानीय लोग समान रूप से इस अद्वितीय कलाकृति को देखने और अपने कैमरों में कैद करने आते हैं। यह एक ऐसी मूर्ति है जो न केवल कला की कृति है, बल्कि भारत के समृद्ध इतिहास और विविध संस्कृति का भी प्रमाण है।
तो अगली बार जब आप नागरकोविल जाएँ, तो नेताजी की इस अनूठी मूर्ति को देखना न भूलें। दिन-रात बदलते इस अद्भुत रूप को देखें और भारत की जीवंत विरासत की झलक यहाँ पायें।