निधि दोलत लंबे खान। निःसंतान दांपत्य ने दी दान में पूरी संपत्ति



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इस कहानी का नाम है निःस्वार्थ त्याग का। कहानी है एक ऐसे दंपत्ति की जिनके पास ना तो कोई संतान है और ना ही कोई रिश्तेदार। लेकिन फिर भी उनके चेहरे पर सुकून और संतोष की झलक देखकर कोई भी कह सकता है कि ये लोग दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं। इनके पास भले ही धन-दौलत की कमी हो, लेकिन इनके दिलों में प्रेम और करुणा की भरपूर दौलत है।

* निःसंतान दंपत्ति का त्याग *

इस दंपत्ति का नाम है लोंग और खान। ये दोनों ही वियतनाम के रहने वाले हैं। उनकी उम्र करीब 60 साल है। इनके जीवन में सब कुछ था, लेकिन फिर भी कुछ कमी सी खलती थी। ये कमी थी संतान की। लोंग और खान को हमेशा से बच्चे बहुत पसंद थे, लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। कई सालों की कोशिशों के बाद भी उन्हें कोई संतान नहीं हो पाई।

* दान की गई संपत्ति *

संतान न होने का दुख तो लोंग और खान को था ही, लेकिन उन्होंने कभी अपनी उम्मीद नहीं छोड़ी। उन्होंने सोचा कि शायद भगवान ने उन्हें कुछ और देने की योजना बनाई है। और हुआ भी कुछ ऐसा ही। एक दिन लोंग और खान की मुलाकात एक अनाथालय से हुई। वहां उन्होंने देखा कि कितने सारे बच्चे हैं जो अकेले और बेसहारा हैं। उस दिन उन्हें लगा कि शायद ये बच्चे ही उनकी असली संतान हैं।

इसके बाद तो लोंग और खान ने बिना देर किए अपने घर-बार और सारी संपत्ति अनाथालय को दान कर दी। उन्होंने सोचा कि भले ही ये बच्चे उनके अपने नहीं हैं, लेकिन वो उन्हें अपना बनाकर उनका जीवन सुखी बना सकते हैं।

* दंपत्ति का सुखी जीवन *

अनाथालय को संपत्ति दान करने के बाद लोंग और खान ने एक छोटे से कमरे में रहना शुरू कर दिया। उनके पास अब कुछ भी नहीं था, लेकिन उनके दिलों में खुशियों की एक अमिट छाप थी। उन्हें पता था कि उन्होंने अपना सब कुछ त्यागकर दुनिया के सबसे बड़े पुण्य का काम किया है।

आज भी लोंग और खान अनाथालय में ही रहते हैं। वो बच्चों की देखभाल करते हैं और उन्हें अपना सब कुछ देते हैं। बच्चे भी उन्हें अपने माता-पिता की तरह ही प्यार करते हैं। लोंग और खान के जीवन की कहानी हर किसी के लिए एक प्रेरणा है। ये बताती है कि खुशी और संतुष्टि धन-दौलत में नहीं, बल्कि त्याग और करुणा में ही मिलती है।