निपाह वायरस




निपाह वायरस: वो भयानक वायरस जिसने दशकों पहले दहलाया था दिल्ली को
निपाह वायरस एक गंभीर बीमारी है जो जानवरों और इंसानों दोनों को प्रभावित कर सकती है। यह वायरस बंग्लादेश और भारत के कुछ हिस्सों में अधिक प्रचलित है। यह वायरस पहली बार 1998 में मलेशिया में पाया गया था, जहां 265 से अधिक लोग संक्रमित हुए थे और 105 लोगों की मौत हो गई थी। 2001 में, इस वायरस का प्रकोप भारत के सिलीगुड़ी शहर में हुआ था, जहां 80 से अधिक लोग संक्रमित हुए थे और 48 लोगों की मौत हो गई थी।
निपाह वायरस फलों के चमगादड़ों के मूत्र, मल या लार के संपर्क में आने से फैलता है। यह वायरस दूषित फलों या जानवरों के संपर्क से भी फैल सकता है। निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति के साथ निकट संपर्क में आने से भी यह वायरस फैल सकता है।
निपाह वायरस से संक्रमण के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, मतली, उल्टी और चक्कर आना शामिल हो सकते हैं। गंभीर मामलों में, निपाह वायरस से मस्तिष्क की सूजन (एन्सेफलाइटिस) हो सकता है, जिससे दौरे, कोमा और यहां तक ​​कि मौत भी हो सकती है।
निपाह वायरस का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। लक्षणों के आधार पर सहायक उपचार दिया जाता है। गंभीर मामलों में, मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है और उन्हें इंटेंसिव केयर की आवश्यकता हो सकती है।
निपाह वायरस से संक्रमण को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि चमगादड़ों और जानवरों के संपर्क से बचा जाए। फल खाने से पहले उन्हें अच्छी तरह से धोना और छीलना भी जरूरी है। साथ ही, संक्रमित व्यक्ति के साथ निकट संपर्क में आने से बचना चाहिए।
निपाह वायरस एक खतरनाक वायरस है जिससे गंभीर बीमारी और मौत हो सकती है। इस वायरस से संक्रमण को रोकने के लिए सावधानी बरतना बहुत जरूरी है।