न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान और 50वें मुख्य न्यायाधीश हैं। अपनी बुद्धि, अखंडता और न्याय के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ न्यायपालिका के शीर्ष पर पहुंचे हैं।
न्याय के प्रहरी:
9 नवंबर, 1959 को जन्मे, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का एक विशिष्ट कानूनी वंश है। उनके पिता, न्यायमूर्ति वाई.वी. चंद्रचूड़, सर्वोच्च न्यायालय के 16वें मुख्य न्यायाधीश थे। युवा चंद्रचूड़ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज से कानून की पढ़ाई की।
कानून स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद, चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की। वह जल्द ही अपने क्षेत्र में अत्यधिक प्रशंसित हो गए, और 1998 में बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त किए गए। 2016 में, उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
प्रगतिशील विरासत:
सर्वोच्च न्यायालय में अपने कार्यकाल के दौरान, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने प्रगतिशील मूल्यों के प्रबल समर्थक के रूप में ख्याति अर्जित की है। उन्होंने व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं।
उनके ऐतिहासिक फैसलों में से एक 2018 में भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को निरस्त करने का मामला था, जिसने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था। उन्होंने गोपनीयता के अधिकार को एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने वाले मौलिक अधिकारों पर भी कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए,
एक व्यक्ति, एक दृष्टिकोण:
अपने पेशेवर जीवन के अलावा, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ एक व्यक्तिगत स्तर पर भी एक प्रेरणादायक व्यक्ति हैं। वह एक उत्साही पाठक, एक उत्कृष्ट लेखक और एक कुशल संगीतकार हैं। वह अपने विनोद और गर्मजोशी के लिए भी जाने जाते हैं।
भारतीय न्यायपालिका का भविष्य:
न्यायपालिका के शिखर पर पहुंचकर, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ भारतीय न्यायपालिका के भविष्य को आकार देने की स्थिति में हैं। अपने प्रगतिशील मूल्यों और न्याय के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ, वह भारत के नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए निरंतर प्रयास करने का वादा करते हैं।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ एक सच्चे न्यायविद हैं, जो अपने पेशे और अपने देश के प्रति गहराई से समर्पित हैं। न्यायपालिका के शिखर पर उनके साथ, भारत के नागरिक आश्वस्त हो सकते हैं कि उनके अधिकार सुरक्षित हाथों में हैं।