नारायण मूर्ति: एक तकनीकी दिग्गज की विनम्र शुरुआत से लेकर असाधारण सफलता तक की यात्रा




भारत के आईटी उद्योग के पितामह, नारायण मूर्ति एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी कहानी प्रेरणा और दृढ़ संकल्प की याद दिलाती है। उनकी यात्रा एक साधारण इंजीनियरिंग स्नातक से लेकर इंफोसिस के संस्थापक और सीईओ के रूप में एक असाधारण सफलता तक की है, वह लाखों लोगों के लिए एक आदर्श बनी हुई है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

नारायण मूर्ति का जन्म 20 अगस्त, 1946 को कर्नाटक के एक छोटे से गाँव, सिद्दलगट्टा में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता एक डॉक्टर थे, जबकि उनकी माँ एक गृहिणी थीं। मूर्ति एक मेधावी छात्र थे, जिन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

पेशेवर करियर

स्नातक होने के बाद, मूर्ति ने पुणे के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में एक शोध सहायक के रूप में अपना करियर शुरू किया। हालाँकि, उनकी महत्वाकांक्षाएँ कहीं अधिक थीं। 1976 में, उन्होंने अपने छह सहकर्मियों के साथ मिलकर एक छोटी सी सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस की स्थापना की।

इंफोसिस की स्थापना
  • इंफोसिस की स्थापना केवल 10,000 रुपये की शुरुआती पूंजी से की गई थी। कंपनी ने अपने शुरुआती दिनों में संघर्ष किया, लेकिन मूर्ति के अटूट दृढ़ संकल्प और उनके कर्मचारियों के समर्थन ने उन्हें आगे बढ़ाया।
  • समय के साथ, इंफोसिस ने एक वैश्विक आईटी दिग्गज के रूप में उभरकर भारत के सॉफ्टवेयर उद्योग को बदल दिया। कंपनी को विशेष रूप से अपनी ग्राहक-केंद्रितता और नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं के लिए जाना जाता है।
  • मूर्ति के नेतृत्व के मूल्य

    मूर्ति एक व्यापक रूप से प्रशंसित नेता हैं, जिन्हें अपने असाधारण प्रबंधन कौशल के लिए जाना जाता है। यहाँ उनके नेतृत्व के मूल्य हैं जो इंफोसिस की सफलता में महत्वपूर्ण रहे:


    • नैतिकता और अखंडता: मूर्ति दृढ़ता से मानते हैं कि एक मजबूत संगठनात्मक संस्कृति नैतिकता और अखंडता पर बनी होती है। उन्होंने इंफोसिस में एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा दिया जिसमें पारदर्शिता, जवाबदेही और उच्च नैतिक मानक शामिल थे।
    • ग्राहक केंद्रितता: मूर्ति का मानना ​​​​था कि ग्राहक कंपनी की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने इंफोसिस में एक ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण को स्थापित किया, जिससे ग्राहकों की संतुष्टि और वफादारी में वृद्धि हुई।
    • नवाचार और उत्कृष्टता: मूर्ति नवाचार और उत्कृष्टता के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने इंफोसिस में एक ऐसा वातावरण बनाया जो रचनात्मकता और नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
    • कर्मचारियों का विकास: मूर्ति कर्मचारियों के विकास और कल्याण में दृढ़ता से निवेश करते थे। उन्होंने इंफोसिस में एक मजबूत प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रम स्थापित किया, जिससे कर्मचारियों को अपनी क्षमता को उजागर करने और व्यावसायिक ऊंचाइयों तक पहुंचने का अवसर मिला।
    पुरस्कार और सम्मान

    अपनी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए, मूर्ति को कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया है, जिनमें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण भी शामिल है। उन्हें मैसूर विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर से मानद डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।

    व्यक्तिगत जीवन
    नारायण मूर्ति एक विनम्र और मेहनती व्यक्ति हैं, जो अपने परिवार और दोस्तों के लिए गहरी देखभाल और सम्मान रखते हैं। वह अपनी पत्नी, सुधा मूर्ति, एक प्रसिद्ध लेखिका और परोपकारी, से बहुत प्यार करते हैं। उनके दो बच्चे हैं, अक्षता और रोहन।
    विरासत

    नारायण मूर्ति भारतीय आईटी उद्योग के अग्रदूतों में से एक हैं। उनकी दृष्टि, नेतृत्व और नैतिकता ने भारत को सॉफ्टवेयर और सेवाओं का वैश्विक केंद्र बनाने में मदद की है। उनकी विरासत भारत और दुनिया भर के उद्यमियों और प्रबंधकों के लिए एक प्रेरणा बनी रहेगी।

    एक प्रेरणादायक यात्रा

    नारायण मूर्ति की यात्रा विनम्र शुरुआत से लेकर असाधारण सफलता तक की एक प्रेरणादायक कहानी है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि दृढ़ संकल्प, नैतिकता और कड़ी मेहनत के माध्यम से कुछ भी संभव है। वह लाखों लोगों के लिए एक रोल मॉडल हैं, जो दर्शाता है कि कैसे एक व्यक्ति उद्योग को बदल सकता है और समाज को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।