नवरात्रि के नौ दिनों में, हर दिन नव दुर्गा की एक अलग शक्ति की पूजा की जाती है। चौथे दिन, हम माँ कूष्मांडा की पूजा करते हैं।
माँ कूष्मांडा को ब्रह्मांड की निर्माता माना जाता है। उनका नाम "कुष्मांड" है, जिसका अर्थ है "कद्दू"। ऐसा कहा जाता है कि माँ कूष्मांडा एक कद्दू के फूल से प्रकट हुई थीं।
माँ कूष्मांडा की आठ भुजाएँ हैं, जो आठ सिद्धियों का प्रतीक हैं। उनके हाथों में विभिन्न प्रकार के हथियार हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं।
चौथे दिन की पूजा:
चौथे दिन की पूजा सुबह जल्दी शुरू होती है। भक्त माँ कूष्मांडा की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करते हैं और उन्हें फूल, चंदन और भोग अर्पित करते हैं।
पूजा के बाद, भक्त माँ कूष्मांडा की कथा सुनते हैं और उनके मंत्रों का जाप करते हैं। मुख्य मंत्र है:
इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और फल, सब्जियाँ और दूध जैसे सात्विक भोजन खाते हैं।
नवरात्रि का चौथा दिन शक्ति और सुरक्षा का दिन है। माँ कूष्मांडा की पूजा करने से भक्तों को आध्यात्मिक विकास और बुराई से सुरक्षा प्राप्त होती है।