पोइला बैसाख: बांग्ला नववर्ष की शुरुआत




"अरे बाप रे, आज तो पोइला बैसाख है!" मैं फुर्ती से अपने बिस्तर से उछल पड़ी, जैसे ही मुझे एहसास हुआ कि मेरा पसंदीदा त्यौहार आ गया है। पोइला बैसाख, बांग्ला नववर्ष का पहला दिन है, जो बंगालियों के लिए एक भव्य उत्सव है। यह वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है, जब नई उम्मीदें और नए सपने हवा में तैरते हैं।
मैं उत्साह से अपने पसंदीदा पट्टू की साड़ी पहनी, जिसमें मोर के पंखों से प्रेरित डिजाइन थे। मैं जानती थी कि यह साल की सबसे खूबसूरत साड़ियों में से एक थी, और मैंने इसे इस खास मौके के लिए संभाल कर रखा था। जैसे ही मैंने अपने बालों में चमेली के फूलों का गजरा लगाया, मेरे दिल में उत्साह और खुशी की लहर दौड़ गई।
पोइला बैसाख के दिन, बंगाल की गलियों में एक जीवंत उत्सव का माहौल होता है। सड़कें रंग-बिरंगे कपड़ों से सजी होती हैं और हवा में पारंपरिक बंगाली संगीत की धुनें गूँजती हैं। लोग अपने घरों और दुकानों को रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से सजाते हैं, जो उत्सव के माहौल को और भी बढ़ा देते हैं।
सुबह की पूजा के लिए मैं अपने परिवार के साथ नजदीकी मंदिर गई। मंदिर देवी दुर्गा की मूर्तियों से सजा हुआ था, जो शक्ति और समृद्धि का प्रतीक हैं। पुजारी ने पारंपरिक मंत्रों का पाठ किया और भगवान को भोग लगाया। मैं भक्ति से झुकी और नववर्ष के लिए आशीर्वाद मांगा।
पूजा के बाद, हमने एक पारंपरिक बांग्ला भोज का आनंद लिया। मेरी माँ ने अपनी विशेष पायेश की थाली तैयार की थी, जिसके लिए वे पूरे परिवार में मशहूर हैं। चावल, दाल और सब्जियों से बना यह मीठा पकवान पोइला बैसाख के दिन का एक अभिन्न अंग है।
उत्सव मनाने का कोई बेहतर तरीका नहीं हो सकता था। अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना, स्वादिष्ट खाना खाना और बांग्ला संस्कृति की समृद्धि में डूबना। पोइला बैसाख हमारे जीवन में एक नई शुरुआत का प्रतीक है, एक समय जब हम अतीत को पीछे छोड़ देते हैं और भविष्य को आशा और उत्साह से देखते हैं।
इस वर्ष पोइला बैसाख को, मैं अपनी सभी निजी पीड़ाओं और निराशाओं को पीछे छोड़ने का संकल्प लेती हूं। मैं अपने भीतर की शक्ति को जगाना चाहती हूं और अपने जीवन में नए बदलाव करना चाहती हूं। मैं अपने आप को एक नया मौका देना चाहती हूं, एक ऐसी संभावना जहां मैं अपने सपनों को साकार कर सकूं।
मुझे नहीं पता कि आने वाला वर्ष क्या लेकर आएगा, लेकिन मैं इसका स्वागत आशा और उत्साह के साथ करती हूं। पोइला बैसाख की भावना मुझे याद दिलाती है कि नए अवसर हमेशा मौजूद होते हैं, और यह हम पर निर्भर है कि हम उनका उपयोग कैसे करें। तो चलिए हम इस नववर्ष की शुरुआत नए संकल्पों और सकारात्मकता के साथ करें।
" शुभो नोबो बोरषो सबाई के नमोस्कार।" (Happy New Year to all.)