पाएतोंगतां शिनावत्रा: थाईलैंड की लोकतांत्रिक राजकुमारी




पाएतोंगतां शिनावत्रा, जिन्हें "यिंगलक" के रूप में भी जाना जाता है, थाईलैंड की पहली महिला प्रधान मंत्री थीं। वह 2011 से 2014 तक इस पद पर रहीं। यिंगलक एक करिश्माई और लोकप्रिय राजनीतिज्ञ थीं, जो अपने सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के लिए जानी जाती थीं। हालाँकि, उनका कार्यकाल राजनीतिक अस्थिरता और विवाद से भरा रहा।
प्रारंभिक जीवन और करियर
यिंगलक का जन्म 21 जून, 1967 को चियांग माई में हुआ था। वह थाईलैंड के सबसे धनी परिवारों में से एक शिनावत्रा परिवार की सदस्य हैं। उन्होंने थामसैट विश्वविद्यालय से सार्वजनिक प्रशासन में डिग्री हासिल की और व्यवसाय में अपना करियर शुरू किया। 2011 में राजनीति में प्रवेश करने से पहले वह एक सफल व्यवसायी महिला थीं।
प्रधान मंत्री के रूप में
यिंगलक को 2011 के आम चुनाव में फ्यू चे पार्टी के टिकट पर प्रधान मंत्री के रूप में चुना गया था। वह इस पद पर चुनी जाने वाली पहली महिला थीं। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने गरीब और ग्रामीण समुदायों को लक्षित करने वाले कई सामाजिक कल्याण कार्यक्रम लागू किए। उन्होंने कम आय वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा तक पहुंच में भी सुधार किया।
राजनीतिक अस्थिरता
यिंगलक का कार्यकाल राजनीतिक अस्थिरता से चिह्नित था। उनके कई विरोधी नेता विपक्षी डेमोक्रेट पार्टी से आए, जिन्होंने उन पर भ्रष्टाचार और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया। 2014 में, न्यायपालिका द्वारा भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने के बाद उन्हें प्रधान मंत्री पद से हटा दिया गया।
विवाद
यिंगलक का कार्यकाल कई विवादों से भरा रहा, जिसमें चावल सब्सिडी योजना घोटाला भी शामिल था। इस योजना में थाईलैंड के चावल उत्पादकों को ऊंची कीमत पर चावल बेचने की अनुमति दी गई, जिससे सरकार को करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ। यिंगलक पर इस घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था, लेकिन उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया।
विरासत
यिंगलक थाईलैंड में एक विवादास्पद व्यक्ति बनी हुई हैं। कुछ लोगों द्वारा उन्हें एक लोकतांत्रिक राजनीतिज्ञ के रूप में देखा जाता है जिन्होंने गरीबों और वंचितों की मदद की। अन्य लोग उन्हें एक भ्रष्ट नेता के रूप में देखते हैं जिन्होंने अपनी व्यक्तिगत संपत्ति को राष्ट्र के हित से ऊपर रखा।
एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण
मैं पाएतोंगतां शिनावत्रा को एक जटिल और विरोधाभासी व्यक्ति के रूप में देखता हूं। वह एक करिश्माई और लोकप्रिय राजनीतिज्ञ थीं, लेकिन उनका कार्यकाल विवादों और भ्रष्टाचार के आरोपों से भी भरा था। उनका विरासत आने वाले कुछ समय तक बहस का विषय बनी रहेगी।