पंचायत सीजन 3 रिव्यू: अब तो बहुत हो गया
हाल ही में रिलीज़ हुई वेब सीरीज़ "पंचायत" का सीजन 3 दर्शकों के बीच काफ़ी चर्चाओं में रहा है। कुछ लोगों ने इसे बेहतरीन बताया है तो कुछ ने इसे निराशाजनक। तो चलिए आज हम भी इस सीरीज़ के तीसरे सीजन की समीक्षा करते हैं और देखते हैं कि आखिर लोगों के क्या विचार रहे हैं।
कहानी
"पंचायत" सीजन 3 की कहानी पिछले दो सीज़न की तरह ही फ़ुलेरा नाम के एक काल्पनिक गाँव पर आधारित है। सीज़न 2 के अंत में अभिषेक अपने पद से इस्तीफ़ा दे देता है और शहर लौट जाता है। लेकिन इस सीज़न में, अभिषेक एक नए सरपंच के रूप में फ़ुलेरा लौटता है। गाँव में कई बदलाव हुए हैं और अभिषेक को इन बदलावों को अपनाना है।
पात्र
इस सीज़न में भी सीरीज़ के मुख्य पात्र वही हैं, जिनमें अभिषेक, प्रह्लाद, विकास, और बृज भूषण दुबे शामिल हैं। इसके अलावा, इस सीज़न में कुछ नए पात्र भी शामिल हुए हैं, जिनमें एक महिला सरपंच और एक पत्रकार शामिल हैं।
अभिनय
इस सीज़न में भी पात्रों का अभिनय उतना ही बेहतरीन है जितना कि पिछले सीज़न में था। जीतेंद्र कुमार एक बार फिर अभिषेक की भूमिका में शानदार हैं। उनके किरदार की मासूमियत और उनकी कॉमिक टाइमिंग दोनों काफ़ी अच्छी है। रघुबीर यादव भी प्रह्लाद के रूप में एक बार फिर से प्रभावशाली हैं।
कॉमेडी
"पंचायत" सीज़न 3 भी पिछले सीज़न की तरह ही कॉमेडी से भरपूर है। चुनावी अभियान से लेकर गाँव की राजनीति तक, सीरीज़ में कई मज़ेदार पल हैं। हालाँकि, इस सीज़न में कॉमेडी थोड़ी ज़्यादा ही हो गई है।
नाटक
कॉमेडी के अलावा, इस सीज़न में नाटक का भी एक अच्छा संतुलन है। अभिषेक को अपने पद पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। गाँव में बिजली की समस्या से लेकर पानी की कमी तक, उसे कई समस्याओं को सुलझाना पड़ता है।
निराशा
हालाँकि "पंचायत" सीज़न 3 एक अच्छी सीरीज़ है, लेकिन यह निराशाजनक भी है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस सीज़न में कहानी में कोई ख़ास नयापन नहीं है। पिछले सीज़न की तरह ही, इस सीज़न में भी अभिषेक को गाँव की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, इस सीज़न में कॉमेडी थोड़ी ज़्यादा ही है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, "पंचायत" सीज़न 3 एक अच्छा देखने लायक है। कॉमेडी और नाटक का संतुलन और पात्रों का बेहतरीन अभिनय इस सीज़न को देखने लायक बनाता है। हालाँकि, कहानी में कोई ख़ास नयापन नहीं है और कॉमेडी थोड़ी ज़्यादा ही है।