पंजाब का रंगारंग त्यौहार: लोहड़ी




भांग की महक से महकती गलियां, तिल और गुड़ के लड्डूओं की मिठास, और आग की लपटों के चारों ओर इकट्ठा हुए लोगों का उत्साह - ये सब "लोहड़ी" के त्योहार की निशानी है। ये पंजाब का एक जीवंत त्योहार है जो सर्दियों के अंधकार को दूर करने और नए साल का स्वागत करने का प्रतीक है।

एक लोहड़ी की रात का जादू

जैसे ही सूरज क्षितिज के नीचे छिपता है, लोहड़ी की तैयारी शुरू हो जाती है। गांव और शहर के लोग खुले मैदानों या चौराहों पर इकट्ठा होते हैं। वे लकड़ी और लकड़ी के टुकड़े इकट्ठा करते हैं, एक विशाल अलाव बनाते हैं, और उसे "ढाल" कहते हैं। जैसे ही आग भड़कती है, लोग इसके चारों ओर इकट्ठा हो जाते हैं, हाथ ताली बजाते हैं, और "लोहड़ी! लोहड़ी!" की धुन पर नाचते हैं।

त्योहार की मिठाइयां

लोहड़ी के त्योहार को मिठाइयों के बिना अधूरा माना जाता है। "गुड़िया", तिल और गुड़ से बने लड्डू, इस त्योहार की विशेष मिठाई है। लोग इन लड्डुओं को एक-दूसरे को उपहार देते हैं, मिठास और खुशी का प्रतीक साझा करते हैं।

आग का प्रतीकात्मकता

लोहड़ी की आग का बहुत महत्व है। यह सर्दियों के अंधकार का प्रतीक है, और इसकी लपटें आशा, समृद्धि और नए जीवन का संदेश देती हैं। लोग अलाव के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, अपनी इच्छाएं मांगते हुए और बुरी आत्माओं को दूर रखते हुए।

लोकगीत और डांस

लोहड़ी के उत्सव में पंजाबी लोकगीत और नृत्य एक अभिन्न अंग हैं। लोग "सुंदर मुंदरिये" और "लोहड़ी दयां रात" जैसे पारंपरिक गाने गाते हैं, ढोल और चिमटे की थाप पर नाचते हुए। ये गाने और नृत्य पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाते हैं।

बलिदान की कहानी

लोहड़ी एक बलिदान की कहानी से भी जुड़ी हुई है। किंवदंती है कि माता लौहरी ने एक युवा लड़के दुल्ला भट्टी की जान बचाई थी, जो अमीरों से लूटता था और गरीबों को देता था। दुल्ला भट्टी की याद में, लोग लोहड़ी की रात को अलाव जलाते हैं और उनके बलिदान का सम्मान करते हैं।

पंजाब की पहचान

लोहड़ी पंजाब की पहचान का एक अभिन्न अंग है। यह एक ऐसा त्योहार है जो समुदाय को एक साथ लाता है, सर्दियों की ठंड को दूर करता है, और नए साल की शुरुआत का जश्न मनाता है। चाहे आप पंजाब से हों या दुनिया के किसी भी कोने से, लोहड़ी का जादू आपको अपने रंग और जीवंतता से मंत्रमुग्ध कर देगा।