पूजा खेडकर IAS: नारी शक्ति की प्रेरणादायक कहानी




पूजा खेडकर एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने साबित किया है कि अगर इरादे बुलंद हों और जुनून प्रबल हो, तो कुछ भी असंभव नहीं है। उन्होंने लगातार दो प्रयासों में IAS परीक्षा पास की, और आज वह एक सफल IAS अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएँ दे रही हैं।
पूजा के बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज़ थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नागपुर से ग्रहण की और 12वीं कक्षा में उन्हें गोंदिया जिले में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। इसके बाद, उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की। उनके शैक्षणिक प्रदर्शन ने उन्हें कई छात्रवृत्तियाँ भी दिलवाईं।
स्नातक होने के बाद, पूजा ने कुछ समय तक निजी कंपनी में काम किया। हालाँकि, जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि उनका असली जुनून लोक सेवा में है। उन्होंने IAS परीक्षा देने का फैसला किया और अपनी तैयारी शुरू की।
IAS परीक्षा की तैयारी कोई आसान काम नहीं है, लेकिन पूजा ने कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से इस चुनौती का सामना किया। उन्होंने 12-14 घंटे रोजाना पढ़ाई की और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों को बार-बार हल किया। साथ ही, उन्होंने अनुभवी शिक्षकों और मार्गदर्शकों से भी सलाह ली।
तीन साल की कठिन मेहनत के बाद, पूजा ने 2018 में IAS परीक्षा में सफलता हासिल की। उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 300 हासिल की और भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित होने वाली महाराष्ट्र की पहली महिला बनीं।
एक IAS अधिकारी के रूप में, पूजा ने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभाई हैं। वह मुंबई महानगरपालिका में नगर आयुक्त के रूप में भी काम कर चुकी हैं। इस भूमिका में, उन्होंने शहर के बुनियादी ढांचे और सेवाओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अपनी कार्य जिम्मेदारियों के अलावा, पूजा समाज में सक्रिय रूप से शामिल हैं। वह महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के लिए अभियानों का समर्थन करती हैं। वह मानती हैं कि महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने के लिए अधिक अवसर मिलने चाहिए, और वह अपनी कहानी के माध्यम से अन्य महिलाओं को प्रेरित करने का प्रयास करती हैं।
पूजा खेडकर एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं कि कड़ी मेहनत, जुनून और दृढ़ संकल्प से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। वह उन लाखों महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं जो अपने जीवन में कुछ खास करना चाहती हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि अगर हम अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहें और कभी हार न मानें, तो हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।