प्रड़ेड 2024: क्या भारत को चाहिए एक नया चुनाव आयोग?




पहले तो, मेरा मानना है कि चुनाव आयोग (ईसी) का अप्रचलित होना एक गंभीर चिंता का विषय है।
हम सभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "अच्छे दिन" वाले वादे को याद करते हैं। और मेरा मानना है कि 2014 का चुनाव निश्चित रूप से इसके लिए एक अच्छी शुरुआत थी। लेकिन लगता है कि कुछ सालों में चीजें बदल गई हैं। ईसी की हालिया कार्यप्रणाली कई आलोचनाओं और चिंताओं का कारण रही है।

मुझे लगता है कि सबसे बड़ी चिंताओं में से एक ईसी की स्वतंत्रता को लेकर है। कुछ ने आरोप लगाया है कि आयोग अब सरकार से बहुत प्रभावित हो गया है। उदाहरण के लिए, 2019 के आम चुनाव में ईसी द्वारा मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय विवादास्पद था। कुछ लोगों ने तर्क दिया कि यह सरकार की आलोचना को दबाने का एक प्रयास था।

एक और चिंता का विषय ईसी की जवाबदेही है। आयोग वर्तमान में संसद के प्रति जवाबदेह नहीं है।
इसका मतलब यह है कि अगर कोई ईसी की कार्यप्रणाली से नाखुश है, तो उसके पास वास्तव में शिकायत करने का कोई रास्ता नहीं है। मुझे लगता है कि यह एक गंभीर समस्या है क्योंकि इसका मतलब यह है कि ईसी सरकार या सत्तारूढ़ पार्टी के लिए जवाबदेह नहीं है।

मेरा मानना है कि ईसी में सुधार के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। एक कदम आयोग को संसद के प्रति जवाबदेह बनाना होगा। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि आयोग पारदर्शी और जवाबदेह है।

इसके अलावा, मुझे लगता है कि आयोग के सदस्यों को एक स्वतंत्र पैनल द्वारा नियुक्त किया जाना चाहिए। यह आयोग की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
वर्तमान प्रणाली के तहत, आयोग के सदस्यों को सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। इससे हितों का टकराव होने की आशंका है।

मुझे लगता है कि ईसी को बदलने का समय आ गया है। भारत को एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और जवाबदेह चुनाव आयोग की जरूरत है। केवल तभी हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारे चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी होंगे।