प्रितिष नंदी एक भारतीय कवि, चित्रकार, पत्रकार, सांसद, मीडिया और टेलीविजन व्यक्तित्व, पशु कार्यकर्ता और पीएनसी के संस्थापक थे। वह अपनी बहुमुखी प्रतिभा और भारतीय फिल्म उद्योग में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने जाते थे।
15 जनवरी 1951 को भागलपुर, भारत में जन्मे नंदी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया और जल्द ही टाइम्स ऑफ इंडिया के संपादक और प्रकाशन निदेशक बन गए। राजनीति में प्रवेश करने से पहले उन्होंने कई वर्षों तक इस पद पर कार्य किया।
नंदी ने 1999 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति में प्रवेश किया। उन्हें 2004 के लोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल के कोलकाता उत्तर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुना गया। उन्होंने 2009 तक इस पद पर कार्य किया।
पत्रकारिता और राजनीति के अलावा, नंदी फिल्म उद्योग में भी सक्रिय थे। उन्होंने पीएनसी (प्रितिष नंदी कम्युनिकेशंस) की स्थापना की, जिसने कई सफल फिल्मों का निर्माण किया, जिनमें "कभी हां कभी ना", "कान्टे" और "दिल चाहता है" शामिल हैं।
नंदी अपने पशु अधिकार सक्रियतावाद के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने पीपल फॉर एनिमल्स (पीएफए) की स्थापना की, जो भारत में सबसे बड़े पशु कल्याण संगठनों में से एक है। उन्होंने जानवरों के अधिकारों और कल्याण के लिए कई अभियान चलाए।
प्रितिष नंदी का 8 जनवरी 2025 को 73 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया। उन्हें भारतीय सिनेमा और समाज में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है।
अपनी विशिष्ट लेखन शैली और फिल्म निर्माण के लिए प्रसिद्ध, नंदी ने भारतीय संस्कृति और समाज पर एक अमिट छाप छोड़ी। उनकी फिल्में न केवल मनोरंजक थीं, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी विचारोत्तेजक थीं।
प्रितिष नंदी एक महान विचारक और एक सच्चे कलाकार थे जिन्होंने भारतीय फिल्म उद्योग और उसके परे लोगों के जीवन को छुआ। उनका विरासत भारतीय संस्कृति और समाज में उनके अद्वितीय योगदान के माध्यम से जीवित रहेगा।