पॉलीग्राफ टेस्ट क्या होता है?




आपने अक्सर फिल्मों और टीवी शो में देखा होगा कि जब किसी को झूठ पकड़ना होता है, तो उसे पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि असल में पॉलीग्राफ टेस्ट क्या होता है और यह कैसे काम करता है?
पॉलीग्राफ टेस्ट, जिसे लाइ डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है, एक ऐसा परीक्षण है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति के सत्यनिष्ठा की जांच करने के लिए किया जाता है। यह एक मशीन का उपयोग करता है जो शरीर में होने वाले विभिन्न शारीरिक परिवर्तनों को रिकॉर्ड करता है, जैसे कि हृदय गति, श्वसन दर और त्वचा के विद्युत चालकता।
जब कोई व्यक्ति झूठ बोलता है, तो उसके शरीर में ये शारीरिक परिवर्तन आते हैं। पॉलीग्राफ टेस्ट इन परिवर्तनों को रिकॉर्ड करता है और एक चार्ट पर दिखाता है। एक प्रशिक्षित परीक्षक तब चार्ट की व्याख्या करता है और यह निर्धारित करता है कि व्यक्ति सच बोल रहा है या झूठ।
पॉलीग्राफ टेस्ट कैसे काम करता है?
पॉलीग्राफ टेस्ट एक मशीन का उपयोग करता है जिसमें तीन मुख्य सेंसर होते हैं:
* न्यूमोथोरैक्स सेंसर: यह छाती की गति को रिकॉर्ड करता है, जो श्वसन दर को इंगित करता है।
* कार्डियोवैस्कुलर सेंसर: यह हृदय गति और रक्तचाप को मापता है।
* गैल्वेनिक स्किन रिस्पॉन्स सेंसर: यह त्वचा की विद्युत चालकता को मापता है, जो तनाव और चिंता के स्तर को इंगित करता है।
जब किसी व्यक्ति को पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जाता है, तो ये सेंसर शरीर में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों को रिकॉर्ड करते हैं। एक प्रशिक्षित परीक्षक तब चार्ट की व्याख्या करता है और देखता है कि क्या परीक्षण किए जा रहे व्यक्ति के शरीर में ऐसे परिवर्तन हुए हैं जो झूठ बोलने से जुड़े होते हैं।
पॉलीग्राफ टेस्ट कितना सटीक है?
पॉलीग्राफ टेस्ट की सटीकता एक विवादास्पद विषय है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि यह झूठ पकड़ने में 90% तक सटीक है, जबकि अन्य ने पाया है कि इसकी सटीकता केवल 50% है।
पॉलीग्राफ टेस्ट की सटीकता कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि परीक्षण किए जा रहे व्यक्ति की स्थिति, परीक्षण देने वाले परीक्षक का अनुभव और प्रश्न पूछने का तरीका।
पॉलीग्राफ टेस्ट का उपयोग कब किया जाता है?
पॉलीग्राफ टेस्ट का उपयोग आमतौर पर निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है:
* आपराधिक जांच: पॉलीग्राफ टेस्ट का उपयोग संदिग्धों से पूछताछ करने और यह निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है कि वे सच बोल रहे हैं या झूठ।
* रोजगार जांच: कुछ नियोक्ता संभावित कर्मचारियों से पॉलीग्राफ टेस्ट करवा सकते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्होंने अपने आवेदन में कोई झूठ नहीं बोला है।
* वैवाहिक समस्याएं: कुछ मामलों में, पॉलीग्राफ टेस्ट का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है कि क्या किसी साथी ने संबंध बनाया है या नहीं।
पॉलीग्राफ टेस्ट की आलोचना
पॉलीग्राफ टेस्ट की कई आलोचनाएँ की गई हैं, जिनमें इसकी सटीकता की कथित कमी और इसका संभावित उपयोग लोगों पर दबाव डालने के लिए शामिल है।
कुछ लोग यह भी तर्क देते हैं कि पॉलीग्राफ टेस्ट मानवाधिकारों का उल्लंघन है क्योंकि यह लोगों को उनकी मर्जी के खिलाफ आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करता है।
भारत में पॉलीग्राफ टेस्ट का कानूनी दर्जा
भारत में पॉलीग्राफ टेस्ट कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है। इसका उपयोग केवल जांच में सहायता के रूप में किया जा सकता है, और अदालत में साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
निष्कर्ष
पॉलीग्राफ टेस्ट एक विवादास्पद उपकरण है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति के सत्यनिष्ठा का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। इसकी सटीकता पर बहस चल रही है, और इसकी मानवाधिकारों के निहितार्थों के लिए इसकी आलोचना की गई है। भारत में पॉलीग्राफ टेस्ट कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है, और केवल जांच में सहायता के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।