बॉक्सर विजेंदर सिंह
"मुझे बॉक्सिंग से प्यार है," विजेंदर सिंह ने एक बार कहा था। "यह मेरे खून में है।"
और यह दिखता है। 2008 ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले विजेंदर भारत के सबसे सफल मुक्केबाजों में से एक हैं। उन्होंने कई पेशेवर खिताब भी जीते हैं, जिनमें WBO एशिया पैसिफिक और WBC एशियन मिडलवेट खिताब शामिल हैं।
विजेंदर का जन्म हरियाणा के एक छोटे से गांव में हुआ था। वह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे और बचपन से ही उन्हें खेलों का शौक था। उन्होंने कबड्डी और फुटबॉल खेलना शुरू किया, लेकिन आखिरकार उन्होंने बॉक्सिंग को अपना लिया।
विजेंदर 2004 में राष्ट्रीय टीम में शामिल हुए। उन्होंने जल्द ही अपने कौशल से कोचों को प्रभावित किया और जल्द ही अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगे। 2008 ओलंपिक उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि थी। वह मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बॉक्सर बने।
ओलंपिक के बाद विजेंदर ने पेशेवर मुक्केबाजी में करियर बनाने का फैसला किया। उन्होंने 2015 में अपने प्रो डेब्यू में जीत हासिल की और तब से उन्होंने लगातार जीत हासिल की है। वह वर्तमान में WBO एशिया पैसिफिक और WBC एशियन मिडलवेट चैंपियन हैं।
विजेंदर की सफलता का श्रेय उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण को जाता है। वह दिन में कई घंटे प्रशिक्षण करते हैं और हमेशा अपने शिल्प को निखारने के तरीकों की तलाश में रहते हैं। वह एक प्राकृतिक एथलीट भी हैं, जो उनके बॉक्सिंग कौशल को पूरक बनाता है।
विजेंदर न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में बॉक्सिंग के चेहरे बन गए हैं। वह एक प्रेरणा हैं और उनकी कहानी अन्य लोगों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।
विजेंदर सिंह का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है। वह एक युवा और प्रतिभाशाली मुक्केबाज हैं जिनके पास बड़ी चीजें हासिल करने की क्षमता है। वह निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में भी बॉक्सिंग की दुनिया में छाप छोड़ेंगे।