बुढ़ी बाबू टूर्नामेंट




आप इस अनोखे टूर्नामेंट के बारे में नहीं जानते होंगे। हरियाणा के भिवानी जिले के टिस्सा गांव में आयोजित होने वाला यह टूर्नामेंट अपनी अनोखी अवधारणा और हास्यपूर्ण पहलू के लिए प्रसिद्ध है।

इस प्रतियोगिता का आयोजन पिछले कई वर्षों से किया जा रहा है, और इसमें गांव के बुजुर्ग पुरुषों की भागीदारी होती है। इन बुजुर्गों की उम्र 60 वर्ष से अधिक होती है और इनमें से कुछ तो 80 वर्ष से भी ऊपर के होते हैं। लेकिन यह उनकी शारीरिक क्षमताओं पर कोई रोक नहीं है।

टूर्नामेंट में, इन बुजुर्गों को एक बाधा कोर्स पूरा करना होता है। बाधा कोर्स में विभिन्न चुनौतियां होती हैं, जैसे कि टायरों में से गुजरना, रस्सी पर चलना और बैग रेस। इन चुनौतियों को पूरा करने के लिए उन्हें गति, संतुलन और धीरज का प्रदर्शन करना होता है।

लेकिन इस टूर्नामेंट के बारे में सबसे खास बात यह है कि यह बुजुर्गों के लिए सिर्फ एक शारीरिक चुनौती नहीं है। यह उनके लिए अपने जीवन के अनुभवों को साझा करने और युवा पीढ़ी के साथ जुड़ने का एक अवसर भी है।

  • हास्य का तड़का: टूर्नामेंट में कई हास्यपूर्ण क्षण होते हैं, जैसे कि बुजुर्गों के बाधाओं से जूझने और कभी-कभी गिरने के दृश्य।
  • भावुकता: प्रतियोगिता में भाग लेने वाले बुजुर्गों को अपने जीवन की कहानियां साझा करते हुए देखना भावनात्मक रूप से गर्मजोशी देने वाला अनुभव होता है।

इस टूर्नामेंट की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है, और यह अब भिवानी जिले से बाहर भी आयोजित किया जा रहा है। यह न केवल बुजुर्गों के लिए एक सक्रिय और स्वस्थ जीवन जीने का एक तरीका है, बल्कि यह युवाओं को भी उनके बुजुर्गों का सम्मान करना और उनके ज्ञान से सीखना सिखाता है।


यह "बुढ़ी बाबू टूर्नामेंट" सिर्फ एक खेल आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जहां हँसी, भावनाएं और युवा-बुजुर्गों का बंधन एक साथ मिलता है। इस अनोखे टूर्नामेंट में, आप बुजुर्गों को अपनी उम्र की सीमा तोड़ते हुए अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए देखेंगे।

बाधा कोर्स पूरा करना उनकी चुनौती हो सकती है, लेकिन असली मजा तो तब शुरू होता है जब वे अपने जीवन के अनुभवों को साझा करना शुरू करते हैं। उनकी कहानियाँ ज्ञान, हास्य और जीवन के सबक से भरी होती हैं।

इस टूर्नामेंट की एक और खास बात यह है कि यह युवा पीढ़ी को अपने बुजुर्गों से सीखने और उनके साथ जुड़ने का मौका देता है। यह एक ऐसा समय है जब दोनों पीढ़ियाँ एक साथ आती हैं और एक-दूसरे से कुछ न कुछ सीखती हैं।

इसलिए, अगर आपके पास कभी इस अनोखे "बुढ़ी बाबू टूर्नामेंट" में शामिल होने का मौका मिले, तो इसे न चूकें। यह हँसी, भावनाओं और युवा-बुजुर्गों के बंधन का एक ऐसा त्यौहार है जिसे आप हमेशा याद रखेंगे।