बुद्ध का जीवन और उपदेश सैकड़ों वर्षों से मानवता के लिए प्रेरणा और दिशानिर्देश का स्रोत रहे हैं। एक ऐसे समय में जब दुनिया संघर्ष और अशांति से जूझ रही है, बुद्ध के संदेश की प्रासंगिकता और भी अधिक हो गई है।
सिद्धार्थ गौतम के रूप में जन्मे बुद्ध एक राजकुमार थे जो जीवन की विलासिताओं से घिरे हुए थे। हालाँकि, एक दिन उन्हें दुनिया की कठोर वास्तविकता से सामना करना पड़ा - बीमारी, बुढ़ापा और मृत्यु। इसने उन्हें सत्य की तलाश पर निकल दिया।
कई वर्षों की कठोर साधना के बाद, सिद्धार्थ को बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ। वह बुद्ध बन गए, जिसका अर्थ है "जागृत"। उन्होंने दूसरों को दुख के कारणों और दुख से मुक्ति के मार्ग के बारे में बताया।
बुद्ध ने सिखाया कि दुख का मूल कारण अज्ञानता है। हम अक्सर अपने आप को और दुनिया को गलत तरीके से समझते हैं, और इससे गलत विचार और कर्म पैदा होते हैं। इन गलतियों से दुख उठता है।
दुख से मुक्ति का मार्ग अष्टांगिक मार्ग है, जिसमें सही दृष्टिकोण, सही इरादे, सही वाणी, सही कार्य, सही आजीविका, सही प्रयास, सही स्मृति और सही समाधि शामिल हैं। इस मार्ग का पालन करने से हम अज्ञानता को दूर कर सकते हैं, गलत विचारों और कर्मों को त्याग सकते हैं और अंततः दुख से मुक्त हो सकते हैं।
बुद्ध का जीवन और शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। वे हमें शांति, ज्ञान और करुणा का मार्ग दिखाती हैं। बुद्ध का संदेश हमें याद दिलाता है कि हम सभी जुड़े हुए हैं और हम सभी दुख और पीड़ा को दूर करने की क्षमता रखते हैं।
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